मुंबईः नशे की दुनिया में दक्षिण अमेरिका और यूरोप के कई देशों में अपना कहर बरपाने के बाद अब तक के सबसे खतरनाक ड्रग्स में से एक 'लाल कोकीन' अब भारत में दस्तक दे चुका है. केंद्रीय एजेंसी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और मुंबई पुलिस की एंटी नारकोटिक्स सेल को अपने खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली है कि मुनाफे के लिए नशे के सौदागर देश के युवाओं की नसों में इस नए जहर को घोलने के लिए आमादा हैं. इतना ही नहीं, देर रात चलने वाली पार्टियों में युवाओं को परोसने के लिए इस खतरनाक ड्रग्स लाल कोकीन की बड़ी खेप मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, अहमदाबाद, उदयपुर और जयपुर जैसे प्रमुख शहरों में पहुंच भी चुकी है.


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अब पुलिस इन ड्रग् पेडलर और इनके सरगनाओं की तलाश में जुट चुकी है.


यह ड्रग्स इसलिए भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि यह कोकीन और लाल रंग के एक केमिकल का मिश्रण है. कोकीन में केमिकल मिलाने से यह जहर और भी खतरनाक रूप ले लेता है. लाल रंग की इस कोकीन में नशा आम सफेद कोकिन के मुकाबले ज्यादा होता हैै और इसका असर भी लंबेेेे समय तक रहता है. 



जानकारों के मुताबिक, कोकीन का सेवन करने के बाद इंसान खुद को बेहद फुर्तीला और मदमस्त महसूस करने लगता है. जबकि इसमें मिलाये गये लाल रंग के एक खास केमिकल से दिमाग पर से नियंत्रण खो जाता है, जिसके चलते नशे के दौरान  होने वाली घटना होश में आने के बाद भी बिल्कुल याद नहीं रहती. जब तक नशे का असर रहता है वह वक्त उसकी याददाश्त से हमेशा के लिए गायब रहता है.


डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक इस ड्रग्स के सेवन से इंसान को ब्रेन हेमरेज का खतरा हो सकता है और यह जानलेवा भी साबित हो सकता है.यह एक महंगा नशा है और नशे के सौदागर अपना कस्टमर बनाने के लिए आमतौर पर रईस घरानों के युवाओं की तलाश में रहते हैं. सूत्रों के मुताबिक चुटकी भर 1 ग्राम लाल कोकीन की कीमत तकरीबन 8 हजार से 10 हजार रूूपये तक होती है. खुफिया सूत्रों से पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक नशेड़ी इसे अपनी कोडवर्ड की भाषा में लाल मिर्च पाउडर भी कहते हैं.


यह ड्रग सबसे पहले सफेद कोकीन के रूप में दक्षिण अमेरिका के कोलंबिया देश से अफ्रीका के देशों में स्मगल किया जाता है. यहां इसमें लाल केमिकल मिलाकर एक रैकेट इसे यूरोपीय देशों में स्मगल करता है तो दूसरा रैकेट नेपाल के रास्ते दिल्ली और मुंबई पहुंचाता है. इसके बाद लाल कोकीन मुंबई से खाड़ी देशों में भी मुहैया करवाया जाता है. वहीं बांग्लादेश और म्यांमार पहुंचने वाली खेप को थाईलैंड कंबोडिया और मलेशिया जैसे देशोंं में पहुंचाया जाता है.