नई दिल्ली : मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक अगले हफ्ते लोकसभा में पेश किया जाएगा. केंद्र सरकार ने तीन तलाक को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाने वाले एक विधेयक को सदन में पेश करने जा रही है. अगर यह विधेयक कानून बनता है तो इसके तहत तीन तलाक देने वाले को तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. इस विधेयक पर 15 दिसंबर को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी. 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द कर दिया था.


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बीजेपी ने इस दौरान अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है.संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने बताया लोकसभा में संख्याबल को देखते हुए इस बिल को पास कराने में सरकार को ज्‍यादा मुश्किल नहीं होगी. लोकसभा से पास होने के बाद बिल राज्यसभा में जाएगा. वैसे तो सरकार इस बिल को शुक्रवार को ही पेश करने की तैयारी में थी, लेकिन 2-जी मामले में सदन में विपक्ष के विरोध को देखते हुए इस अगले सप्ताह के लिए टाल दिया है.


सरकार ने कहा कि तीन तलाक का मुद्दा महिलाओं की गरीमा और उनके न्याय से जुड़ा हुआ है. इससे आस्था या धर्म का कोई संबंध नहीं है. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन को बताया कि सरकार का मानना है कि यह मुद्दा लैंगिक न्याय, लैंगिक समानता और महिलाओं की गरिमा की मानवीय अवधारणा से जुड़ा हुआ है और इसमें आस्था और धर्म का कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक बार में तीन तलाक को अवैध करार दिया, लेकिन इसके बाद भी ऐसे 66 मामले सामने आए हैं.


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सरकार द्वारा बनाए जा रहे इस कानून के मुताबिक, यह कानून सिर्फ एक बार में तीन तलाक के मामले में लागू होगा और इससे पीड़िता को अधिकार मिलेगा कि वह अपने और नाबालिग बच्चों के लिए उचित गुजारा भत्ते की मांग करते हुए मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सके. पीड़िता अपने नाबालिग बच्चों का संरक्षण भी मांग सकती है, हालांकि इस बारे में फैसला मजिस्ट्रेट करेगा.