ट्रिपल तलाक : 1000 साल पुरानी कुप्रथा से 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट ने दिलाई आजादी
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ट्रिपल तलाक : 1000 साल पुरानी कुप्रथा से 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट ने दिलाई आजादी

इस मामले पर कोर्ट में 11 से 18 मई तक सुनवाई हुई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के रूम नंबर 1 में फैसला सुनाया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने के अंदर इस पर कानून बनाने के लिए कहा है (file pic)

नई दिल्‍ली : तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस मामले पर पांच जजों की संवैधानिक पीठ में से तीन जजों ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक बताया है. ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के फैसले के आधार पर 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं की जीत हुई है. फैसला सुनवाई चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि ट्रिपल तलाक मुस्लिम समुदाय का 1000 साल पुराना आंतरिक मामला है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 3-2 से अपना फैसला सुनाया. जस्टिम नरीमन, जस्टिम यूयू ललित और जस्टिस कुरियन जोसफ ने ट्रिपल तलाक को पूरी तरह गलत बताते हुए अपने फैसले में इसे असंवैधानिक करार दिया.

  1. इस मामले पर कोर्ट में 11 से 18 मई तक सुनवाई हुई थी
  2. तीन तलाक के मामले पर पांच जजों ने की थी सुनवाई
  3. तीन जजों ने इसे अंसवैधानिक करार दिया

चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस अब्‍दुल नजीर ने अपने फैसले में ट्रिपल तलाक पर छह महीने के लिए रोक लगाई थी और कहा था कि सरकार इस पर कानून बनाए. चीफ जस्टिस ने कहा था कि सरकार इस पर छह महने के अंदर कानून लेकर आए. गौरतलब है कि इस मामले पर पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने पहले ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले पर कोर्ट में 11 से 18 मई तक सुनवाई हुई थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के रूम नंबर 1 में फैसला सुनाया गया.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले पर अलग से कानून बनाए. क्‍योंकि सरकार इसके खिलाफ है. कोर्ट ने कहा कि यह मौलिक अधिकार का हनन नहीं है. लेकिन छह महीने के अंदर कानून बने. तीन जजों ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक करार दिया.

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आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से दिए हलफनामे में कहा था कि वह तीन तलाक की प्रथा को वैध नहीं मानती और इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है. सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने माना था कि वह सभी काजियों को अडवाइजरी जारी करेगा कि वे ट्रिपल तलाक पर न केवल महिलाओं की राय लें, बल्कि उसे निकाहनामे में शामिल भी करें. अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं.

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