Ukraine Crisis: यूक्रेन में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने अपने राजनयिकों के परिवारों को देश वापस लौटने के लिए कहा है. राजनयिकों के परिवारों से कहा गया है कि वे जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी यूक्रेन छोड़कर भारत वापस आ जाएं.


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सूत्रों के मुताबिक यूक्रेन के पूर्वी इलाकों में सरकारी सेना और रूस समर्थक अलगाववादियों में झड़प शुरू हो गई है. इन झड़पों में यूक्रेन के 2 सैनिकों की मौत हो चुकी है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने दोनों पक्षों से तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है. यूक्रेन में इस माहौल को देखते हुए भारत सरकार कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहती. 


यूक्रेन में रह रहे 20 हजार भारतीय


यूक्रेन में इस समय भारत के करीब 20,000 नागरिक रह रहे हैं. इनमें से अधिकांश छात्र मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए वहां गए हुए हैं. यूक्रेन की राजधानी कीव में बने भारतीय दूतावास ने वहां रहने वाले अपने नागरिकों के लिए कई एडवाइजरी जारी की हैं. रविवार को जारी हुई नए एडवाइजरी में यूक्रेन में स्थिति के लगातार तनावपूर्ण बने रहने को देखते हुए वहां रहने वाले सभी भारतीयों को अस्थाई रूप से यूक्रेन छोड़ देने की सलाह जारी की थी. 


'सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों का रखें ख्याल'


भारत ने इससे पहले भी कई बार कहा था कि उसके लिए अपने नागरिकों की सुरक्षा सबसे पहले है. पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में बोलते हुए भारतीय दूत टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा था कि सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए तनावों को तत्काल कम किया जाना चाहिए. उन्होंने पूरे इलाके में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने पर भी बल दिया था. 


'बातचीत के जरिए समस्या का हल'


UNSC की बैठक में भारत ने नॉर्मंडी प्रारूप के तहत मिन्स्क संधि और वार्ता शुरू किए जाने का भी समर्थन किया था. भारतीय दूत ने कहा, 'हम मानते हैं कि "मिन्स्क समझौतेा, पूर्वी यूक्रेन पर दोनों दोनों देशों की बीच सकारात्मक बातचीत का आधार प्रदान करता है. सभी पक्षों को आपसी मतभेद दूर रखते हुए बातचीत के जरिए सकारात्मक हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए.' 



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भारत ने Minsk Pact पर दिया जोर


बता दें कि Minsk Pact में रूस, यूक्रेन, यूरोप और ओएससीई शामिल हैं. यह समझौता पूर्वी यूक्रेन के डोनेत्सक, लुहान्स्क और अन्य क्षेत्रों में युद्धविराम का आह्वान करता है. जबकि बातचीत के नॉरमैंडी प्रारूप में जर्मनी, फ्रांस और मिन्स्क संधि के सदस्य शामिल हैं. इस प्रारूप में Minsk Pact को सही तरीके से लागू करने से संबंधित है. 


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