पूर्वोत्तर भारत में आतंक पर चोट: उल्फा के डिप्टी चीफ ने एनकाउंटर के बाद किया सरेंडर
मेघालय में उल्फा (आई) के डिप्टी कमांडर-इन-चीफ दृष्टि राजखोवा (Drishti Rajkhova) ने पुलिस एनकाउंटर के दौरान सरेंडर कर दिया. इसे पूर्वोत्तर में आतंक के खिलाफ सुरक्षाबलों की बड़ी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है.
नई दिल्ली: मेघालय में उल्फा (आई) के डिप्टी कमांडर-इन-चीफ दृष्टि राजखोवा (Drishti Rajkhova) ने पुलिस एनकाउंटर के दौरान सरेंडर कर दिया है. इसे पूर्वोत्तर में आतंक के खिलाफ सुरक्षाबलों की बड़ी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है. राजखोवा सुरक्षा बलों पर हुए कई हमलों में शामिल रहा है.
एनकाउंटर के बाद सरेंडर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस को बुधवार देर शाम साउथ गारो हिल्स (South Garo Hills) के बाल्बोगकरे गांव में उल्फा (आई) के डिप्टी कमांडर इन चीफ दृष्टि राजखोवा के होने की खुफिया सूचना मिली थी. मौके पर पहुंची पुलिस को देख दृष्टि ने फायरिंग कर दी. करीब 30 मिनट चले एनकाउंटर के बाद उसने सरेंडर कर दिया.
संगठन पर मजबूत पकड़, तीन दशकों की लड़ाई का अनुभव
दृष्टि राजखोवा उल्फा (आई) के शुरुआती लड़ाकों में से एक है. वो संगठन में नंबर दो की पायदान पर है. उल्फा (आई) के लिए हमलों की योजना बनाने से लेकर लड़ाकों का भर्ती तक में उसका बेहद अहम रोल है. दृष्टि राजखोवा अब करीब 50 वर्ष का है और पूर्वोत्तर भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों में से एक था. उसके पकड़े जाने के बाद उल्फा (आई) को कापी नुकसान पहुंचने की उम्मीद है.
परेश बरूआ का करीबी
सूत्रों के अनुसार राजखोआ अभी सैन्य खुफिया अधिकारियों की हिरासत में है और उसे असम लाया जा रहा है. राजखोआ को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) के ‘कमांडर इन चीफ’ परेश बरूआ (Pareshaan Baruah) का करीबी वफादार माना जाता है. सूत्रों ने बताया कि राजखोआ हाल तक बांग्लादेश में रह रहा था और कुछ सप्ताह पहले मेघालय आया था. सरकार ने वर्ष 1990 में यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (इंडिपेंडेंट) पर प्रतिबंध लगाया था.