Bihar Politics: केंद्रीय मंत्री और बिहार के नेता चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने संकेत दिया कि हालांकि वह एनडीए में अपने भतीजे की मौजूदगी को बर्दाश्त करेंगे, लेकिन इससे ज्यादा किसी बात [विलय, या उनकी हाजीपुर सीट] की उम्मीद नहीं की जा सकती है


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एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में पारस ने कहा, ‘चिराग पासवान यह कहने वाले कौन होते हैं कि कौन सी सीट उनकी है? उन्हें जमुई जाने दीजिए मैं हाजीपुर से चुनाव लड़ूंगा... इस बारे में कोई किंतु-परंतु नहीं है‘


भतीजे पारस को गले लगाने पर
पारस ने एनडीए बैठक में अपने भतीजे को गर्मजोशी से गले लगाने पर कहा, ‘वह मेरा भतीजा है उसने मेरे पैर छुए उसे आशीर्वाद देना मेरा कर्तव्य था. लेकिन इसकी गलत व्याख्या नहीं की जानी चाहिए.’


केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि चिराग पासवान के एनडीए से अलग होने के फैसले ने पार्टी में विभाजन ला दिया है


चिराग ने हमारी एक न सुनी
पारस ने कहा, ‘चिराग पासवान के साथ हमारी लड़ाई एनडीए के हिस्से के रूप में 2020 का चुनाव लड़ने को लेकर थी लेकिन उस समय वह पार्टी के अध्यक्ष थे और उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी. छह में से पांच सांसद एनडीए के साथ जाना चाहते थे. लेकिन उन्होंने हमारी एक न सुनी. एक तरफ कहते थे कि वह बीजेपी के ‘हनुमान’ हैं, दूसरी तरफ उन्होंने छह सीटों पर बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतारे.’


केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब विलय का सवाल ही नहीं उठता उन्होंने कहा, ‘मैं बार-बार कहता हूं कि जब कोई टीम टूटती है, तो उसे एक साथ रखा जा सकता है, लेकिन दिल से नहीं... हमारे कुछ पारिवारिक मुद्दे हैं, जिनके लिए हम एक साथ नहीं आ सकते‘


बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर नजर रखने वाली बीजेपी लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों को फिर से एकजुट करने पर जोर दे रही है इस संभावना के बारे में पूछे जाने पर, चिराग पासवान ने कहा, ‘मेरे परिवार में, ऐसे निर्णय बुजुर्गों द्वारा लिए जाते हैं.’


यह पूछे जाने पर कि यदि बीजेपी हाजीपुर सीट चिराग पासवान को देती है तो क्या वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हाथ मिलाएंगे, पशुपति पारस ने कहा, ‘बीजेपी हमारे साथ है हाजीपुर सीट हमारी है हम हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे इसमें कोई संदेह नहीं है‘


सोमवार को एनडीए में शामिल हुए चिराग पासवान
बता दें लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान सोमवार (17 जुलाई) को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो गए.  चिराग के पिता और दिवंगत दलित नेता रामविलास पासवान के नेतृत्व में अविभाजित एलजेपी ने 2019 में छह लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था और बीजेपी के साथ सीट के बंटवारे के तहत उसे राज्यसभा की एक सीट भी मिली थी.


युवा नेता चिराग चाहते हैं कि उनकी पार्टी में विभाजन के बावजूद बीजेपी, उसी व्यवस्था पर कायम रहे. एलजेपी में विभाजन के बाद बने दूसरे गुट राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस हैं, जो सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा हैं.


एलजेपी (रामविलास) के सूत्रों ने कहा कि चिराग पासवान ने अपने गठबंधन को औपचारिक रूप देने से पहले बिहार में लोकसभा और विधानसभा सीट के अपने हिस्से के बारे में बीजेपी के समक्ष स्पष्टता पर जोर दिया है.


चिराग यह भी चाहते हैं कि बीजेपी उन्हें हाजीपुर लोकसभा सीट दे, जो दशकों से उनके पिता का गढ़ रही है, लेकिन वर्तमान में संसद में पारस इस सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं.


चिराग पासवान 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के तत्कालीन सहयोगी नीतीश कुमार का विरोध करने के कारण एनडीए से अलग हो गए थे, लेकिन वह प्रमुख मुद्दों पर बीजेपी के समर्थन में रहे.