यूनिटेक केस: SC ने चंद्रा बंधुओं को महाराष्ट्र की जेलों में भेजने का दिया आदेश
यूनिटेक के प्रमोटर्स संजय और अजय चंद्रा वाले मामले पर सुनवाई करते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने दोनों भाइयों को तिहाड़ से शिफ्ट करते हुए मुंबई जेल भेज दिया है.
नई दिल्ली: यूनिटेक के प्रमोटर्स संजय और अजय चंद्रा पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त नाराजगी जाहिर की है. नाराजगी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने संजय और अजय चंद्रा को तिहाड़ जेल से मुंबई की आर्थर रोड जेल और तलोजा जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से तिहाड़ जेल के उन अधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से जांच करने के लिए कहा है, जिन्होंने कथित तौर पर चंद्रा के साथ सांठगांठ की थी.
जेल का किया गलत इस्तेमाल
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 16 अगस्त 2021 को कोर्ट को बताया था कि यूनिटेक के दोनों पूर्व प्रमोटर्स ने जेल परिसर को गैर कानूनी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया था, उन्होंने बताया कि जेल का इस्तेमाल गवाहों को प्रभावित करने के लिए किया गया. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से इस मामले में उठाए गए कदम को लेकर जानकारी मांगी क्योंकि इससे पहले जेल ऑथरिटी पर बेहद गंभीर आरोप लगाए गए थे. अदालत ने पूछा कि जेल अधिकारियों के खिलाफ आरोपों के संबंध में ईडी के संचार के बावजूद दिल्ली पुलिस प्रमुख ने 10 दिनों तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की और उन्हें जांच करने और चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा.
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने उच्चतम न्यायालय में बताया कि उसने दक्षिण दिल्ली में यूनिटेक के भूतपूर्व संस्थापकों के गुप्त कार्यालय का पता लगाया है. यूनिटेक के गुप्त कार्यालय से संपत्ति बिक्री विलेख, डिजीटल हस्ताक्षर और संवेदनशील जानकारी वाले कम्प्यूटर जब्त किए गए हैं.
यह भी पढ़ें: Afganistan: Kabul Airport के पास लगातार 2 बम धमाके, 13 लोगों की मौत; 52 घायल
सामान्य कैदियों की तरह रहेंगे
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि चंद्रा बंधुओं को जेल नियमावली के अनुसार सामान्य तौर पर मिलने वाली सुविधाओं के अलावा कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं मिलेगी.
दोनों भाइयों पर गंभीर आरोप
बता दें कि यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा अपने भाई अजय चंद्रा के साथ जेल में बंद है. इनके खिलाफ कंपनी की गुरुग्राम स्थित परियोजनाओं के 158 खरीदारों ने आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया हुआ है. खरीदारों के अलावा आयकर विभाग ने भी कंपनी पर 950 करोड़ रुपये का कर बकाया होने के चलते खुद को इस मामले में एक पार्टी बनाए जाने का आग्रह सर्वोच्च न्यायालय से किया हुआ है.
यूनिटेक ने लगाया है चूना
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुए फोरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि यूनिटेक ने 29,800 घर खरीदारों से 14,270 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे. हालांकि इनमें से 5036 करोड़ रुपया 74 प्रस्तावित आवासीय परियोजनाओं में नहीं लगाया गया. ऑडिट से यह जानकारी भी सामने आई कि यूनिटेक ने केनरा बैंक समेत छह वित्तीय संस्थानों से 1805 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. इसमें से 763 करोड़ रुपये का सही इस्तेमाल नहीं किया गया. वर्ष 2007 से 2010 के बीच यूनिटेक की सहायक कंपनियों ने साइप्रस में दस कंपनियों में करीब 1745 करोड़ रुपये का निवेश किया था. केनरा बैंक ने आरोप लगाया कि यूनिटेक ने अमानत में खयानत के साथ गैरकानूनी तरीके से थर्ड पार्टी राइट्स हासिल कर लिया. इस तरह से धन का निजी कार्यों में इस्तेमाल किया गया.
LIVE TV