UP Election: यूपी के इस सीएम ने जज की नौकरी छोड़कर जीता था प्रधानी का चुनाव, बेहद रोचक है वजह
यूपी की पॉलिटिक्स के किस्से बेहद मशहूर हैं. खास तौर पर सीएम बनने और हटने के. क्योंकि यहां कोई भी सीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता था.
नई दिल्ली: वैसे तो सरकारी नौकरशाहों का राजनीति में आना आम बात हो गई है लेकिन आमतौर पर प्रशासक से नेता बनने वाले ये लोग अच्छे मौकों के लिए ही वे अपना पद छोड़ते हैं. जबकि उत्तर प्रदेश में एक ऐसे नेता हुए हैं जिन्होंने प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए जज की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ दी थी. हालांकि उनका यह जोखिम भरा फैसला उनके पक्ष में आया और वे यूपी के सीएम की कुर्सी तक पहुंचे.
जज की नौकरी छोड़कर लौट आए थे गांव
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्रा 20 जनवरी 1924 को सुल्तानपुर में जन्मे थे. उन्होंने बीएचयू से पढ़ाई की. छात्र आंदोलनों में सक्रिय रहे और ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की नौकरी पाई. उन्हें फर्रूखाबाद में पोस्टिंग मिली. लेकिन नौकरी रास नहीं आई और इस्तीफा देकर घर लौट आए. जज की नौकरी मिलने के बाद भी उनका मन राजनीति में ही रमा रहता था. जब नौकरी का इस्तीफा दिया तो गांव में प्रधानी का चुनाव होना था, लिहाजा उसी का पर्चा भर बैठे. श्रीपति मिश्रा ने यह चुनाव जीत लिया और राजनीति में ऐसे आगे बढ़े कि फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
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कांग्रेस के टिकट पर बने विधायक, सांसद
अपने शानदार राजनीतिक करियर की शुरुआत श्रीपति मिश्रा ने कांग्रेस का दामन थाम कर की. 1962 में कांग्रेस की टिकट पर पहली बार विधायक बने. इसके बाद 1967, 1980 में भी विधायक चुने गए. वे 1970 से 1976 तक एमएलसी भी बने. इसके अलावा 2 बार सांसद भी बने. इसके बाद वे 1982 में यूपी के सीएम बने. उनके सीएम बनने का किस्सा बड़ा रोचक है. दरअसल वीपी सिंह ने अपने चुनावी वादों को पूरा न कर पाने के कारण यूपी के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद इंदिरा गांधी ने इस कुर्सी पर बैठाने के लिए कई नाम खंगाले और आखिर में श्रीपति मिश्रा को सीएम बना दिया.
मां ने सीएम बनाया, बेटे के कारण हटे
भले ही यूपी के सीएम के तौर पर श्रीपति मिश्रा के नाम पर खुद इंदिरा गांधी ने ठप्पा लगाया था लेकिन उनके बेटे राजीव गांधी के कारण मिश्रा को कुर्सी छोड़नी पड़ी. 19 जुलाई 1982 को सीएम बनने के बाद 3 अगस्त 1984 तक ही वे इस पद पर रह पाए. राजीव गांधी से खराब संबंधों के कारण उन्हें सीएम पद से हटना पड़ा. इस तरह यूपी में किसी सीएम के कार्यकाल पूरा न कर पाने की पृथा आगे भी जारी रही.
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मोदी ने दिलाई याद
राजीव गांधी से संबंध खराब होने के चलते न केवल उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. बल्कि कांग्रेस ने उन्हें लगातार उपेक्षित भी किया. इस बात की याद हाल ही में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिला दी. उन्होंने बताया कि किस तरह सुल्तानपुर के एक नेता को कांग्रेस ने आगे नहीं बढ़ने दिया क्योंकि वे एक परिवार के लिए खतरा बन गए थे. मोदी के इस बयान ने उन्हें एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है. बता दें श्रीपति मिश्रा का 7 दिसंबर 2002 को निधन हो गया था.