Bail Application: 450 मूकबधिरों को इस्लाम में धर्मांतरण कराने के मामले में जेल में बंद इरफान शेख की जमानत अर्जी पर यूपी सरकार ने विरोध जताया है. इरफान शेख नई दिल्ली में सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र में दुभाषिय के तौर पर काम करते थे. इरफान के खिलाफ युद्ध छेड़ने (IPC 121) और यूपी के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. इलाहाबाद हाईकोर्ट से इरफान की जमानत खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.


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सरकारी पद का किया गलत इस्तेमाल
इरफान शेख की जमानत अर्जी जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच के सामने लगी. यूपी सरकार की ओर से पेश एएसजी केएम नटराज ने कहा कि इरफान ने दुभाषिय के रूप में अपने सरकारी पद का गलत उपयोग किया है. जो व्यक्ति सुनने और बोलने में अक्षम थे. ऐसे 450 से ज्यादा लोगों को इस्लाम में धर्मांतरण कर दिया. यह दूसरे देशों में भी फंडिंग कर रहा था. धर्मांतरण का यहां पूरा सिंडीकेट चल रहा है.


इरफान के वकील की सफाई, लोगों ने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूला
कोर्ट में सुनवाई के दौरान इरफान शेख के वकील नित्या रामकृष्णा ने जमानत दिए जाने की मांग की. उन्होंने इरफान की तरफ से सफाई देते हुए कहा कि जबरदस्ती किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कराया गया है. सभी ने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूला है और जब कोई अपनी मर्जी से इस्लाम कबूलता है तो यूपी धर्मांतरण विरोधी कानून लागू नहीं होता है. उन्होंने आईपीसी की धारा 121 के बारे में कहा कि यह धारा लगाना भी उचित नहीं है. जांच एजेंसी को अब कस्टडी की जरूरत नहीं है. ऐसे में अब जमानत देने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.


कोर्ट ने सुनवाई 22 तारीख तक टाल दी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार से भी सवाल किए. उन्होंने पूछा कि इरफान करीब 1 साल से आपकी कस्टडी में है. क्या अभी भी कस्टडी की जरूरत है. इस पर एएसजी केएम नटराज ने कहा कि अभी ट्रायल शुरू हुआ है. अगर कोर्ट चाहे तो ट्रायल 3 से 6 महीने में पूरा करने का निर्देश दे सकती है. इस तरह के अपराध का समाज पर बुरा असर पड़ता है. यह देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ है. नटराज ने कहा कि वे 2 हफ्ते में सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएंगे कि इरफान शेख की कस्टडी की जरूरत है या नहीं. इसको लेकर कोर्ट ने सुनवाई 22 फरवरी तक के लिए टाल दिया है.


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