Crime News: यूपी में अपराधियों की खैर नहीं, पुलिस के इस चक्रव्यूह से बचना नामुमकिन
UP Police: यह एप में विभिन्न मामलों की जांच में IO की मदद के लिए कारगर होगा. वो किसी भी क्राइम केस को क्रैक करने में मददगार होगा. .’
Inter-Operable Criminal Justice System: उत्तर प्रदेश राज्य विधि विज्ञान संस्थान (UPSIFS) राज्य के पुलिस अधिकारियों को विभिन्न मामलों की जांच में मदद के लिए मोबाइल एप्लिकेशन बनाने जा रहा है. ये मोबाइल एप्लिकेशन जांच अधिकारियों (IO) की मदद करेगा. खासकर जांच के शुरुआती चरण में जब अपराध स्थल के संरक्षण और सुबूतों को छेड़छाड़ से बचाने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. UPSIFS के निदेशक का जिम्मा संभाल रहे अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) जीके गोस्वामी ने बताया, ‘विकसित किये जा रहे इस नए मोबाइल एप में विभिन्न मामलों की जांच में आईओ की सहायता के लिए उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस होगा. किसी विशेष अपराध में मार्गदर्शन के लिए उन्हें ऐप के जरिए आवश्यक कदम सुझाये जाएंगे.’
यूं काम करेगी तकनीक
इस एप्लिकेशन के जरिए जुटाई गई जानकारी को स्टोर किया जाएगा और यहां तक कि उसे इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) के साथ भी जोड़ा जाएगा. ICJS देश में आपराधिक मामलों में न्याय दिलाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मुख्य सूचना प्रौद्योगिकी (IT) प्रणाली को पांच स्तंभों यानी पुलिस (अपराध और आपराधिक निगरानी एवं नेटवर्क प्रणाली), फॉरेंसिक लैब, अदालतें, सार्वजनिक अभियोजक और जेलों के एकीकरण को सक्षम करने के लिए एक राष्ट्रीय मंच है.
गोस्वामी ने कहा, ‘ICJS पर अपलोड होने के बाद अपराध स्थल से एकत्र किए गए डेटा के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है और वरिष्ठ अधिकारी उस तक पहुंचकर निगरानी कर सकते हैं.’
फॉरेंसिक विश्लेषण को मिलेगा बढ़ावा
उन्होंने कहा कि ये ऐप आपराधिक गतिविधियों के वैज्ञानिक फॉरेंसिक विश्लेषण को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया जा रहा है, लेकिन ये संस्थान वृहद लक्ष्य का केवल एक हिस्सा है. CM योगी आदित्यनाथ की पसंदीदा परियोजना के तौर पर विकसित किए गए इस संस्थान के पहले निदेशक के तौर पर कार्य कर रहे गोस्वामी ने कहा, ‘UPSIFS एक अनोखा संस्थान है जो युवाओं को फॉरेंसिक विज्ञान से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रदान करता है. हमारा प्राथमिक उद्देश्य भविष्य के फॉरेंसिक विशेषज्ञों को कुशल बनाना और तैयार करना है.’
UPSIFS गांधीनगर गुजरात में नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) से संबद्ध है. इस विश्वविद्यालय की स्थापना एक दशक पहले की गई थी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
UPSIFS का अभी औपचारिक रूप से उद्घाटन नहीं हुआ है लेकिन संस्थान ने इस वर्ष लखनऊ के सरोजिनी नगर क्षेत्र स्थित अपने विशाल परिसर में शैक्षणिक पाठ्यक्रम शुरू कर दिया है. वर्तमान में 118 छात्र विभिन्न शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के तहत संस्थान में पढ़ रहे हैं.
डीएनए प्रयोगशाला
संस्थान के परिसर को तीन खंडों में विभाजित किया गया है. इनमें पांच एकड़ के परिसर में एक समर्पित डीएनए प्रयोगशाला और तीन एकड़ क्षेत्र में की फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला बनाई गई है. इसके अलावा 500 छात्रों के लिए छात्रावास की भी व्यवस्था की गयी है. संस्थान का लक्ष्य अगले शैक्षणिक वर्ष में 400 छात्रों को दाखिला देने का है.
गोस्वामी ने बताया, ‘वर्तमान में हम फॉरेंसिक दस्तावेज़ परीक्षा, साइबर सुरक्षा, डीएनए फॉरेंसिक और फॉरेंसिक बैलिस्टिक और विस्फोटक में पीजी डिप्लोमा के साथ फॉरेंसिक बीएससी / एमएससी फॉरेंसिक साइंस से संबंधित पांच पाठ्यक्रम संचालित कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि संस्थान छात्रों को तीन क्षेत्रों जैसे कि अपराध स्थल प्रबंधन, अपराध प्रयोगशाला विश्लेषण और फॉरेंसिक विशेषज्ञ की राय का विश्वसनीय कानूनी साक्ष्य में रूपांतरण पर प्रशिक्षण दिया जाएगा.
गोस्वामी ने बताया, ‘फिलहाल जरूरत पड़ने पर फॉरेंसिक विशेषज्ञों को केवल किसी मामले में उनकी राय के लिए बुलाया जाता है. हम इसे बदलना चाहते हैं ताकि यहां प्रशिक्षित छात्र अपनी विशेषज्ञ राय को अदालत के सामने सुबूत में तब्दील कर सकें.’
फॉरेंसिक विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने के अलावा, संस्थान का लक्ष्य आम जनता में फॉरेंसिक विज्ञान के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी है. निदेशक ने कहा, ‘हम जनता में फॉरेंसिक विज्ञान के बारे में सामान्य जागरूकता के लिए कार्यक्रम भी चलाने जा रहे हैं. इसका मकसद सभी के लिए सच्चाई और सुबूत के साथ न्याय सुनिश्चित करना है.’
(एजेंसी इनपुट: पीटीआई भाषा)