लखनऊ: उत्तर प्रदेश में श्रम कानून में किए गए बदलाव पर एक बार फिर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार को घेर है. अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. कोरोना का संक्रमण अब नए जिलों में होने की सूचनाएं हैं. अलग-अलग प्रदेशों में फंसे राज्य के श्रमिकों को वापस घर पहुंचाने का कार्यक्रम शिथिल हो चला है. जगह-जगह हजारों की भीड़ में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सभी पैदल या साइकिल से निकल पड़े हैं.


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अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है. प्रदेश में बेरोजगारों को रोजगार देने और निवेश आकर्षित करने के नाम पर भाजपा सरकार जो कदम उठाने जा रही है उससे अशांति और अव्यवस्था को ही निमंत्रण मिलेगा. अखिलेश यादव ने पूछा, ''कानून व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति में कौन निवेश करने आएगा? उत्तर प्रदेश सरकार ने अब जनता की आंखों में धूल झोंकने और अपनी नाकामयाबियों पर पर्दा डालने की तैयारी की है.'' अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में निवेश तब आएगा जब कानून व्यवस्था ठीक हो. लेकिन यहां तो प्रदेश में अपराधी बेखौफ हैं और पुलिस मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ठोको नीति के रास्ते पर चल रही है.


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भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि मजदूर विरोधी सरकार श्रमिक कानूनों को तीन साल के लिए स्थगित करते समय तर्क दे रही है कि इससे निवेश आकर्षित होगा जबकि इससे श्रमिक शोषण बढ़ेगा तथा साथ में श्रमिक असंतोष औद्योगिक वातावरण को अशांति की ओर ले जाएगा. सच तो यह है कि 'औद्योगिक शांति' निवेश की सबसे आकर्षक शर्त होती है.


उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार की श्रम नीति से मालिकों को मनमानी करने और श्रमिकों का शोषण करने की खुली छूट मिलेगी. नई श्रम नीति के कानूनों का पालन कराने के लिए कोई भी श्रम अधिकारी उद्योगों के दरवाजे तीन साल तक नहीं जाएगा. मालिक के कारखाने में श्रमिक को अब 12 घंटे काम करना होगा जबकि उसके 8 घंटे के हिसाब से मजदूरी मिलेगी. मालिक के लिए श्रमिक को 4 घंटे बेगारी करनी होगी. यानी अब मालिक को कानून से हर छूट और श्रमिक के शोषण करने की भी गारंटी रहेगी. दुनिया भर में श्रमिकों ने 8 घंटे काम की जो गारंटी अपने आंदोलनों से प्राप्त की थी उस पर भाजपा काली स्याही पोत देगी. अखिलेश ने कहा कि मई दिवस की उपलब्धियों पर इतना क्रूर और घातक प्रहार तो तानाशाहों के देश में भी नहीं हुआ.


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सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि नई श्रम नीति बनाकर पूंजीपतियों को खुश करने के क्रम में राज्य में निवेश आने का सपना तो भाजपा सत्ता में आने के पहले दिन से ही दिखाने लगी थी. कई शीर्ष निवेशक सम्मेलन हो गए. खूब धूमधड़ाका हुआ लेकिन एक नए पैसे का निवेश नहीं आया. समाजवादी सरकार में जो उद्योग आए थे वही आज तक चल रहे हैं. जिन उद्योगपतियों से तब करार हुए थे वही जमीन पर लागू दिखाई दिए हैं. चाहे जितनी बयानबाजी कर ले भाजपा अंगूर उसके लिए खट्टे ही रहेंगे.