प्रमोद कुमार/अलीगढ़: गाजियाबाद पुलिस द्वारा धर्मांतरण रैकेट में पकड़े गए आरोपियों में मुख्य आरोपी सौरभ खुराना उर्फ अब्दुल्ला का नाम उजागर होने के बाद एएमयू प्रशासन में हड़कंप मचा गया है. मामला सुर्खियों में आने के बाद एएमयू प्रशासन द्वारा 10 वर्ष पुराना रिकॉर्ड खंगाला गया. इस मामले में एएमयू प्रॉक्टर वसीम अली का बयान सामने आया है.


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वहीं अब इस मामले में एएमयू प्रॉक्टर वसीम अली (AMU Proctor Wasim Ali) का कहना है कि जिस लड़के का नाम आ रहा है जो गाजियाबाद या नोएडा से अरेस्ट हुआ है उसका ताल्लुक यूनिवर्सिटी से सिर्फ इतना रहा है कि 2007-08 में उसने बीडीएस में एडमिशन लिया और सन 2013-14 में उसने पास कर लिया. परीक्षा पास करने के बाद यूनिवर्सिटी से चला गया. अब इसके बाद में जाकर उसने क्या काम करना शुरू किया, किन चीजों में इंवॉल्व रहा, कहां तक सच्चाई है क्या-क्या इल्जामात हैं, इन सारी चीजों का यूनिवर्सिटी से कोई लेना-देना नहीं है न कोई यूनिवर्सिटी से मतलब है. 


सौरभ नाम से ही दिए गए यूनिवर्सिटी से सर्टिफिकेट और डिग्री
उन्होंने कहा कि हम सिर्फ इतना बता सकते हैं कि वह हमारे यहां अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अंदर बीडीएस में स्टूडेंट रहा उसने अपना बीडीएस का कोर्स किया है, लेकिन कोर्स के दौरान जब वह यहां पर स्टूडेंट रहा तब ऐसी कोई बात यूनिवर्सिटी के सामने नहीं आई है. जिस नाम से उसका एडमिशन हुआ उसी नाम से उसने अपने कोर्स को पूरा किया, उसी नाम से यूनिवर्सिटी ने उसको सर्टिफिकेट और डिग्री दी हैं. अपनी पढ़ाई करने के बाद यहां से चला गया है. 


जमाती गतिविधियों पर बोले प्रॉक्टर
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जमाती गतिविधियों के सवाल पर प्रॉक्टर वसीम अली ने कहा कि जहां तक तब्दील जमात का मामला है वह अपना काम करती है. इसमें कोई दो राय नहीं है, वह तो सिर्फ अपने मुसलमान बच्चों से रोजा, नमाज़ इस की बात करते हैं और उनका इन सब चीजों से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि न कभी यूनिवर्सिटी के अंदर ऐसी कोई शिकायत आई है ना कोई ऐसा मामला सामने आया है. 


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