Amethi news: यूपी के अमेठी जिले में सरकारी मकान को जेसीबी से धराशायी करने का मामला सामने आया है. पुलिस और राजस्व विभाग ने सरकारी मकान को ढहा दिया. मकान में रहने वाले मां बेटे ने बताया कि उन्हें तो मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत ये मकान मिला था, जिसे गिरा दिया गया. 


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जानकारी के मुताबिक, अमेठी के खाझा ग्राम के निवासी रंजीत पाल अपनी मां के साथ मंगलवार दोपहर में जिला मुख्यालय गौरीगंज में स्थित कलेक्ट्रेट पहुंचे. मां बेटे दोनों ने रोते हुए जिलाधिकारी को बताया कि सरकारी कॉलोनी को पुलिस और राजस्व विभाग की टीम ने गिरा दिया. जिलाधिकारी महोदय ने मां बेटे दोनों को घर पहुंचने का निर्देश दिया. डीएम ने अमेठी एसडीएम को मौके पर निरीक्षण करने का आदेश दिया. अमेठी की एसडीएम प्रीति तिवारी राजस्व के साथ-साथ पुलिस टीम को लेकर पीड़ित के घर खाझा गांव पहुंची. उनके साथ पीपरपुर थानाध्यक्ष संदीप राय भी मौजूद थे.


पीड़ित ने बताया कि मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत उसको सरकार की धनराशि मिली थी. इससे आवास को बनवाया. जब कॉलोनी बन रही थी तभी गांव के ही कुछ लोगों ने आपत्ति की थी. लेखपाल, वर्तमान प्रधान एवं पूर्व प्रधान ने जांच करते हुए जमीन चिन्हित की थी. इस पर उसने मकान बनवाया था. यह मकान अप्रैल 2023 में बनकर तैयार हो गया था इसके बाद पीड़ित कमाने के लिए बाहर चला गया.


पीड़ित रंजीत पाल बाहर था जब मकान गिराया गया
पीड़ित घर से बाहर था, तभी 1 फरवरी 2024 को अचानक पुलिस एवं राजस्व टीम ने उसके सरकारी आवास पर जेसीबी चलाते हुए धराशायी कर दिया. इसकी सूचना जैसे ही मिली तब रंजीत पाल अपने घर वापस आया. वो एसडीएम अमेठी प्रीति तिवारी से मिला, लेकिन उन्होंने उसे बैरंग लौटा दिया. फिर वो डीएम निशा अनंत के पास पहुंचा. पीड़ित ने बताया कि उस समय राजस्व की टीम के द्वारा जहां पर बताया गया था वहीं पर मेरे द्वारा मकान बनाया गया है फिर क्यों मेरे मकान को गिराया गया. 


एसडीएम ने पीड़ित पर झूठ बोलने का आरोप लगाया
अमेठी की एसडीएम प्रीति तिवारी ने बताया कि पीड़ित झूठ बोल रहा है. गांव में 50 मीटर के अंदर उसके 2 मकान और हैं. उसके द्वारा अवैध अतिक्रमण कर सरकारी जमीन पर यह तीसरा निर्माण कार्य किया गया था. इसको नोटिस देने के बाद हटाया गया और सरकारी जमीन खाली कराई गई. जबकि वहीं पर पीड़ित का कहना है कि उसको किसी भी प्रकार की कोई नोटिस नहीं दी गई. उसके पास पहले से ही 2 मकान मौजूद हैं तो उसे कैसे मुख्यमंत्री आवास योजना का पात्र बनाया गया और कैसे उसे आवास बनाने हेतु सरकारी धन और अवमुक्त किया गया. इसमें ग्राम प्रधान से लेकर ऊपर के अधिकारियों की मिली भगत दिखाई पड़ रही है.


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