नई दिल्ली: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) एक बार फिर चर्चा में हैं. सांसद सतीश कुमार गौतम ने एक बार फिर एएमयू के वीसी को पत्र लिखकर राजनीतिक सरगर्मी तेज कर दी है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर शुरू हुए महासंग्राम के बीच केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है. आपको बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ बीजेपी सांसद और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर राम शंकर कठेरिया ने आरक्षण का मुद्दा उठाया था. इसी सिलसिले में बात करने के लिए वो अलीगढ़ पहुंचें. आपको बता दें, रामशंकर कठेरिया ने हाल ही में कहा था कि जेएनयू और जामिया विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं, बावजूद इसके इन दोनों में छात्रों को आरक्षण का लाभ न दिए जाने से छात्रों में आक्रोश है. उन्होंने कहा था कि पूरे मामले पर सरकार और आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये भी पढ़ें: जिन्ना विवाद के बाद AMU में आरक्षण को लेकर छिड़ी नई बहस, सांसद ने लिखा VC को पत्र


अलीगढ़ में हुआ मंथन
जानकारी के मुताबिक, अलीगढ़ में राम शंकर कठेरिया ने जिले के अफसरों के साथ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में एससी एसटी व पिछड़ों को दाखिले में आरक्षण को लेकर मंथन हुआ. इस बैठक में  एएमयू के सह कुलपति प्रोफेसर तबस्सुम शहाब भी शामिल हैं. आयोग की इस बैठक को लेकर एएमयू का माहौल एक बार फिर गर्माया. बैठक में एएमयू के सह कुलपति प्रोफेसर तबस्सुम शहाब ने कहा कि विश्वविद्घालय किसी भी तरह का कोई कोटा नहीं देता है. उन्होंने इस बैठक में कहा कि छात्रों को उनकी रैकिंग के हिसाब से एडमिशन दिया जाता है. एएमयू के सह कुलपति प्रोफेसर तबस्सुम शहाब ने बताया कि साल 2005 में एएमयू ने एक अपील दायर की थी कि अल्पसंख्यक छात्रों के लिए 50 प्रतिशत का आरक्षण होना चाहिए, जिसका मामला अभी भी विचारधीन चल रहा है.


2019 के लिए बीजेपी खेल रही है दलित कार्ड!
उपचुनाव के दौरान जिन्ना विवाद और लोकसभा 2019 से पहले शुरू हुआ ये आरक्षण विवाद ये संकेत दे रहा है कि बीजेपी सरकार दलितों और पिछड़ी जातियों के वोट बैंक को साधने के लिए आरक्षण का ये गेम खेल रही है. विपक्षियों का भी यहीं मानना है कि बीजेपी की ये चुनावी चाल है. विपक्षियों का कहना है चुनाव से पहले दलितों और पिछड़ी जातियों को साधकर वो फिर से माहौल गर्माना चाहती है.   


क्यों गर्माया मुद्दा
मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर खत लिखने वाले सांसद सतीश कुमार गौतम ने एक बार फिर एएमयू वीसी को खत लिखकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को सुर्खियों में ला दिया. दरअसल, उन्होंने पत्र लिखकर ये पूछा था कि, 'उनके लोकसभा क्षेत्र में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय में एससी, एसटी और ओबीसी के छात्रों को प्रवेश में आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा है'. उन्होंने सवाल करते हुए पूछा है, 'एएमयू में वंचित वर्ग को आरक्षण के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक क्या कोशिशें की हैं'?


सीएम ने भी उठाया था मुद्दा 
आपको बता दें की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिन पहले कन्नौज में मुस्लिम विश्‍वविद्यालयों में दलितों के लिए आरक्षण का मुद्दा उठाया था. उन्‍होंने कहा कि जो लोग दलितों के लिए चिंतित हैं, उन्‍हें इस मुद्दे को उठाना चाहिए. सीएम योगी ने सवाल किया था कि यदि बीएचयू में दलितों को आरक्षण दिया जा सकता है तो अल्‍पसंख्‍यकों द्वारा संचालित संस्‍थानों में क्‍यों नहीं?


राम शंकर कठेरिया ने की थी मांग 
अनुसूचित आयोग के अध्यक्ष राम शंकर कठेरिया ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ओबीसी और एससी को आरक्षण की मांग की. उन्होंने कहा था कि संसद में भी कभी नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक किसी ने एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं दिया. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी 1986 में दिए फैसले में कहा कि ये अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी नहीं है. यहां जानबूझकर अनुसूचित जाति के छात्रों को वंचित किया जा रहा है.  उन्होंने कहा कि ओबीसी के लिए आरक्षण संवैधानिक है. अगर अपने अधिकारों को मांगना विवाद है तो ये विवाद बना रहना चाहिए. बीएचयू और एएमयू दोनों राष्‍ट्रीय यूनिवर्सिटी हैं.