नई दिल्ली: प्रयागराज में आयोजित कुम्भ मेले में पिछले माह उत्तर प्रदेश सरकार की मंत्रिपरिषद की बैठक के आयोजन और संगम तट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अनेक मंत्रियों द्वारा स्नान की फोटो प्रसारित किये जाने को लेकर आज विधान परिषद में सत्तापक्ष और सपा सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई.


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सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने शून्यकाल के दौरान नियम 59 (9) के तहत यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि गत 29 जनवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके अनेक मंत्रियों ने प्रयागराज में आयोजित अर्द्धकुम्भ में संगम नोज़ पर स्नान करते हुए फोटो खिंचवाई थी. जो सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के साथ-साथ विभिन्न टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित भी की गयी थी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री समेत अनेक मंत्रियों द्वारा संगम स्थल पर फोटो खिंचवाना 'यूनाइटेड प्रोविंसेस मेला नियमावली-1940' का खुला उल्लंघन है.


प्रकाश ने कहा कि इसके अलावा 29 जनवरी को ही कुंभ मेला परिसर के सेक्टर-2 में स्थित इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल कार्यालय में मंत्रिपरिषद की बैठक करना पूरी तरह गैर धार्मिक कार्य है. जबकि उत्तर प्रदेश प्रयागराज मेला प्राधिकरण प्रयाग राज अधिनियम 2017 की धारा 18 में लिखा है कि मेला परिक्षेत्र में धार्मिक प्रयोजन के अलावा किसी अन्य प्रयोजन के लिए जन समूह का एकत्र होना प्रतिबंधित है.


उन्होंने कहा 'निश्चित तौर पर कुंभ प्रयागराज मेला परिसर में मंत्रिपरिषद की बैठक गैर धार्मिक प्रयोजन है. प्रदेश के पूरे मंत्रिपरिषद को इस तरह के अशोभनीय और गैर गंभीर आचरण से बचना चाहिए था.' नेता सदन, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने इस पर कहा कि यह कहीं भी नहीं लिखा है कि मंत्रिपरिषद की बैठक राजधानी लखनऊ के अलावा और कहीं नहीं हो सकती.


वहीं जहां तक स्नान के दौरान फोटो खींचे जाने की बात है तो वे तस्वीरें 'सेल्फी प्वाइंट' पर खिंचवायी गयी थीं. इसके अलावा जो फोटो सामने आयी हैं, वे मीडिया द्वारा खींची गयी थीं और उसे ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता. नियमत: मीडिया द्वारा प्रसारित सामग्री का इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति कर सकता है.


उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तंज करते हुए उनका नाम लिये बगैर कहा कि इनकी पार्टी के वरिष्ठ लोगों ने भी गंगा में डुबकी लगाते हुए फोटो खिंचवायी थी. क्या वह अशोभनीय नहीं था. सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने अपने वक्तव्य में जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया उससे आस्था पर चोट लगी है और सदन अपमानित हुआ है, लिहाजा इसे अग्राह्य किया जाए.


नेता सदन के इस बयान पर सपा सदस्यों आनंद भदौरिया, सुनील सिंह साजन तथा कुछ अन्य पार्टी सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए उन पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया. सत्ता पक्ष के सदस्यों के एतराज जताने पर दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक हुई. इस बीच सपा सदस्य सदन के बीचोबीच आकर नारेबाजी करने लगे. उन्होंने सरकार पर धर्म और संस्कृति का मजाक बनाने का आरोप लगाया. 


इसी दौरान मंत्री महेन्द्र प्रताप सिंह अपने स्थान पर खड़े होकर 'आस्था पर चोट करना बंद करो' के नारे लगाने लगे. नेता सदन ने भी सपा सदस्यों की दलीलों का विरोध किया. हंगामे के बीच सभापति रमेश यादव ने सदन की कार्यवाही 20 मिनट के लिये स्थगित कर दी.


सदन की कार्यवाही दोबारा शुरु होने पर नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने फिर यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि नेता सदन का व्यवहार अशोभनीय है. भाजपा सरकार के सिर पर सिर्फ चुनाव सवार है और वह हर आयोजन का भगवाकरण कर रही है. इस पर शर्मा ने आरोप लगाया कि सपा सदस्यों ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचायी है, उन्हें खेद प्रकट करना चाहिये. बहरहाल, बहस-मुबाहिसे के बीच सभापति रमेश यादव ने व्यवस्था दी कि सत्तापक्ष और विपक्ष के अशोभनीय शब्दों को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाए.


(इनपुट-भाषा)