नई दिल्‍ली: अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 28वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने 'बाबरनामा' के अलग-अलग संस्करण और अनुवाद के अंश पढ़े. उन्‍होंने इसके जरिये ये दलील दी कि विवादित संरचना पर अरबी और फारसी शिलालेख में अल्लाह लिखा था. साथ ही इनके जरिये ये साबित करने की कोशिश की गई कि ये मस्जिद बाबर ने ही बनवाई थी.


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राजीव धवन ने कहा कि जन्मभूमि को न्यायिक व्यक्ति बनाने के पीछे का मकसद यह है कि भूमि को कहीं शिफ्ट नहीं किया जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि भगवान विष्‍णु स्‍वयंभू हैं और इसके सबूत मौजूद हैं. उन्‍होंने कहा कि भगवान राम के स्‍वयंभू होने पर यह दलील दी जा रही है कि रात में भगवान राम किसी के ख्वाब में आये और उसको बताया कि उनका सही जन्मस्थान किस जगह पर है, क्या इस पर विश्वास किया जा सकता है?


अयोध्या केस: राजीव धवन ने सवाल पूछ रहे जज के लहज़े को आक्रामक कहा, बाद में माफी मांगी


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इसके साथ ही अयोध्या मामले में शुक्रवार की सुनवाई पूरी हुई. अब सोमवार को मामले की अगली सुनवाई होगी. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट मामले की 1 घंटे ज़्यादा सुनवाई करेगा. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट शाम 5 बजे तक मामले की सुनवाई करेगा. सोमवार को चार नवनियुक्त जजों को शपथ लेनी है इसलिए सुनवाई थोड़ी देर से शुरू होगी.


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27वें दिन की सुनवाई
इससे पहले गुरुवार को 27वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने सवाल पूछ रहे जज के लहज़े को आक्रामक बताया था फिर बाद में माफी मांगी. दरअसल, जस्टिस अशोक भूषण ने 1935 में इमारत के भीतर मूर्ति देखने का दावा करने वाले गवाह पर सवाल किया था. धवन का कहना था कि अविश्वसनीय बयान पर चर्चा नहीं होनी चाहिए. जज का कहना था कि चर्चा हर बात की हो सकती है. बात को देखना कैसे है, यह कोर्ट का काम है.


इस पर धवन ने जज से कहा था कि आपका लहज़ा आक्रामक है. मैं इससे डर गया. धवन के रवैये पर बेंच के सदस्य जस्टिस चंद्रचूड़ और वकील वैद्यनाथन ने एतराज़ जताया था जिसके बाद धवन ने तुरंत कोर्ट से माफी मांगी ली थी.