Ayodhya ram mandir: कौन हैं स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज, राम मंदिर निर्माण की पाई-पाई का रखते हैं हिसाब
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Ayodhya ram mandir: कौन हैं स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज, राम मंदिर निर्माण की पाई-पाई का रखते हैं हिसाब

Ayodhya ram mandir: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अयोध्या में आज अभिजीत मुहुर्त में तय समयानुसार रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हुआ. क्या आप जानते है कि इस कार्यक्रम का संचालन करने वाले स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज कौन है?

Govind Dev Giriji Maharaj

Ayodhya ram mandir: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अयोध्या में आज अभिजीत मुहुर्त में तय समयानुसार रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हुआ. रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में देश के सभी जानी मानी हस्तियां मौजूद रहीं. देश -विदेश में लाखों रामभक्त इसके साक्षी बनें. क्या आप जानते है कि इस कार्यक्रम का संचालन करने वाले स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज कौन हैं? इन्होंने ही प्राण प्रतिष्ठा से 20 दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी को इस प्रतिष्ठा के लिए स्वयं अपने लिए क्या-क्या सिद्ध करना चाहिए, इसकी नियमावली लिखकर भेजी थी. 

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी सदस्यों में एक स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज भी है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में कुल 15 सदस्य है. स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद जी महाराज, जगतगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज और हरिद्वार के युगपुरुष परमानंद के साथ पैनल में हैं.

स्वामी गोविंद और गिरिजी महाराज, ने बताया कि वह बोर्ड में शामिल होने पर अपने आप को धन्य महसूस करते हैं. श्रीराम जन्मभूमि में तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष के रूप में स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज भगवान राम की सेवा कर रहे है. 

प्राण प्रतिष्ठा सामरोह के दौरान उन्होंने कहा कि, मुझे इस बात का आश्चर्य भी हुआ, जब 20 दिन पूर्व मुझे यह समाचार मिला कि प्रधानमंत्री जी को इस प्रतिष्ठा के लिए स्वयं अपने लिए क्या-क्या सिद्ध करना चाहिए, इसकी नियमावली लिखकर उन्हें भेजना है. जिस तरह का हमारा राजनीतिक माहौल हो, कोई किसी भी समय आकर कहीं भी अनुष्ठान करके चला जाता है, लेकिन यहां भगवान श्रीराम की प्रतिष्ठा करनी है. समस्त जीवन आदर्शों के प्रतीक राम हैं. इसलिए महान विभूति को यह लगा कि मैं अपने को भी साध लूं. कर्म, वचन और वाणी से खुद को सिद्ध और शुद्ध बनाऊं. उसका मार्ग तप ही है. तप से ही विशेष परिशुद्धि होती है. 

आज मुझे आपको बतलाते हुए अंत:करण गदगद होने की अनुभूति हो रही है. हम लोगों ने महापुरुषों से परामर्श करके लिखा था कि आपको तीन दिन का उपवास करना है, लेकिन आपने 11 दिन का संपूर्ण उपोषण किया. हमने एक समय अन्न छोड़ने को कहा था, उन्होंने अन्न का ही त्याग कर दिया. मैं तार्किक हूं. आपकी परमपूजनीय माताजी से मिलकर मैंने यह पुष्टि भी की थी कि आपका अभ्यास चालीस वर्षों का है. हमने कहा था कि इन दिनों में आपको विदेश प्रवास नहीं करना चाहिए ताकि सांसरिक दोष न लगें. उन्होंने विदेश प्रवास टाल दिया. दिव्य देश का प्रवास किया. नासिक से शुरू किया, रामेश्वरम गए. इन स्थानों पर जाकर मानो वे निमंत्रण दे रहे थे कि आइए दिव्य आत्माओं पधारिए और आशीर्वाद दीजिए.

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