रामलला के मंदिर निर्माण में आई ये बड़ी दिक्कत, IIT एक्सपर्ट्स लगे सुलझाने में
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रामलला के मंदिर निर्माण में आई ये बड़ी दिक्कत, IIT एक्सपर्ट्स लगे सुलझाने में

IIT चेन्नई, मुंबई, कानपुर, दिल्ली, गुवाहाटी और CBRI रुड़की के मौजूदा और रिटायर्ड विशेषज्ञ रिपोर्ट तैयार करने में लगे हुए हैं. माना जा रहा है कि 29 दिसंबर तक राम मंदिर निर्माण समिति की दिल्ली में प्रस्तावित बैठक में नींव की डिजाइन को फाइनल किया जा सकता है.

सांकेतिक तस्वीर.

अयोध्या: रामनगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि परिसर में रामलला के मंदिर की नींव रखने का शुभारंभ होने वाला है. जनवरी 2021 में नींव की खुदाई का काम शुरू हो रहा है, लेकिन इसको लेकर कई चैलेंज सामने आ रहे हैं. दरअसल, सरयू नदी के किनारे रामलला का जन्मस्थान होने की वजह से जमीन के 100 फिट नीचे तक भुरभुरी मिट्टी मिल रही है. इस वजह से पाइलिंग याली पिलर डालने के काम में बाधा आ रही है. इसे दूर करने के लिए और मंदिर 1000 साल तक सुरक्षित रहे, इसलिए देशभर के IIT विशेषज्ञ की टीम नींव की बेहतर डिजाइन तैयार करने की कोशिश कर रही है.

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29 दिसंबर तक नींव की डिजाइन हो सकती है फाइनल
बता दें, IIT चेन्नई, मुंबई, कानपुर, दिल्ली, गुवाहाटी और CBRI रुड़की के मौजूदा और रिटायर्ड विशेषज्ञ रिपोर्ट तैयार करने में लगे हुए हैं. माना जा रहा है कि 29 दिसंबर तक राम मंदिर निर्माण समिति की दिल्ली में प्रस्तावित बैठक में नींव की डिजाइन को फाइनल किया जा सकता है.

ऐसे बन रही नींव चैलेंज
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नींव की खुदाई के कार्य में देरी होने का खुलासा भी महामंत्री चंपत राय ने कर दिया. उनका कहना है कि 1200 पिलर पहले ड्राइंग थी, उसका परीक्षण किया गया, कुछ पिलर जमीन में डाले गए. फिर 125 फिट गहराई में डाले गए और उसके पकने को लेकर निर्धारित समय (28-30 दिन) के बाद उसका परीक्षण किया गया. इस दौरान उसपर 700 टन वजन डाला गया. भूकंप के धक्के भी दिए गए , इंजीनियरिंग के हिसाब से जैसा व्यवहार उस खम्बों को करना चाहिए था, टेस्ट पाइलिंग से रिजल्ट नहीं मिला. जिन्होंने ड्राइंग बनाई थी वह वही पर ठहर गए. इसलिए देश के लोगों से सामूहिक चिंतन का निर्णय हुआ.

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इसके लिए 15 दिन तक चली वीडियो कांफ्रेंसिंग
आईआईटी दिल्ली, गुवाहाटी, चेन्नई, सूरत, टाटा कंसल्टेंसी और लार्सन एंड टुब्रो के इंजीनियर के साथ संयुक्त कांफ्रेंस हुई जो 15 दिन चली है. टेस्टिंग के परिणाम कुछ अच्छे होते 2-4 प्रतिशत इधर उधर होते. लेकिन रिजल्ट में अंतर आने की वजह से सबका विचार बना कि ओर लोगों से विचार लिए जाए. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मंशा है कि राम मंदिर 1000 वर्षों तक सुरक्षित रहे. यही कारण है कि राम मंदिर निर्माण के लिए नींव को मजबूत करना बेहद आवश्यक है. जब तक भूमिगत ढांचा मजबूत नहीं होगा तब तक वह हर मौसम में, हर परिस्थिति में सुरक्षित नहीं रह सकता.

इस अफवाह से हटा पर्दा
अयोध्या के कारसेवक पुरम में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, संतों और विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की गई. इस बैठक में राम मंदिर निर्माण के लिए जन सहयोग की कार्य योजना पर बात हुई. साथ ही राम मंदिर निर्माण की कार्य प्रगति को भी राम जन्म भूमि ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने संतों के बीच रखा. चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए 70 एकड़ भूमि ट्रस्ट के पास है और ट्रस्ट उन खबरों का खंडन करता है जिसमें 70 एकड़ भूमि के बाद अन्य भूमि को अधिग्रहित करने की बात कही गई है. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट या सरकार अयोध्या के लोगों की भूमि को अधिग्रहित नहीं करेगी.

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इस स्टाइल से बन सकती है नींव
महामंत्री चंपत राय ने बताया कि 17 मीटर नीचे भुरभुरी बलुई मिट्टी है. उसके और नीचे खुदाई करने पर भी मिट्टी नहीं मिल रही है. ऐसे में नींव की डिजाइन को तैयार किया जा रहा है. जिस तरीके से नदी पर बांध बनाया जाता है, उसी पद्धति का प्रयोग करते हुए राम मंदिर के लिए नींव बनाई जाएगी. राम मंदिर को सुरक्षित रखने के लिए 5 एकड़ भूमि पर भूमि के नीचे रिटेनिंग वॉल मनाई जाएगी जिसका काम पानी के प्रवाह को रोकने का होगा. महामंत्री चंपत राय ने बताया कि दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता राम मंदिर निर्माण के लिए 14 जनवरी को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति,  प्रधानमंत्री से मुलाकात करके स्वेच्छा से सहयोग प्राप्त करेंगे. इसके अलावा 11 करोड़ परिवार से राम मंदिर के लिए वॉलंटरी कंट्रीब्यूशन प्राप्त करेंगे. सभी शहरों में अलग-अलग कार योजना बनाई गई है. उसी के अनुसार काम होगा.

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