Ram Lalla Surya Tilak: रामलला के महामस्तक पर सूर्य किरणों से हुआ तिलक, अयोध्या नगरी में राम जन्मोत्सव का जश्न
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Ram Lalla Surya Tilak: रामलला के महामस्तक पर सूर्य किरणों से हुआ तिलक, अयोध्या नगरी में राम जन्मोत्सव का जश्न

Ram lalla surya tilak: सूर्य की किरणें रामलला के चेहरे पर सटीक रूप से पड़ें इसके लिए वैज्ञानिकों द्वारा सूर्य की 20 वर्षों की गति को स्टडी किया गया. कई ट्रायल किए गए और फिर के समय का निर्धारण हुआ.

Ram Lala Surya Tilak on Rama Navami

Ayodhya Ram Mandir / अयोध्या: बुधवार यानी आज देशभर में रामनवमी की धूम है लेकिन इस बार अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद की पहली रामनवमी का उत्सव ही एकदम अद्भुत है. यहां पर आज का विशेष आकर्षण सूर्य तिलक है. रामलला के महामस्तक पर आज सूर्य किरणों से तिलक हुआ, ऐसे 500 साल के इतिहास में पहली बार हो पाया है. सूर्य किरणों से रामलला के महामस्तक पर अभिषेक की पूरी तैयारी की गई है. जन्मोत्सव की पूर्व संध्या यानी मंगलवार को वैज्ञानिकों ने फिर से सूर्य तिलक का सफल ट्रायल कर लिया. कई ट्रायल के बाद ही तिलक के लिए सटीक समय तय किया गया है. दोपहर के 12:16 बजे का समय सूर्य तिलक के लिए तय किया गया. मंदिर व्यवस्था में लगे लोगों का मानना है कि यह विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय है.

अयोध्या नगरी में राम जन्मोत्सव का जश्न जोरों पर है. आपको बता दें कि राम नवमी के शुभ अवसर पर अयोध्या के राम मंदिर में बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई है. इस दौरान भक्तों का सैलाब राम नगरी है. इस दिन रामलला को कुल 56 प्रकार के भोग लगाए जाएगा. भव्य मंदिर में आज सुबह 3.30 बजे मंगला आरती की गई और इसके बाद रामलला 19 घंटे तक अपने भक्तों को दर्शन देंगे. बाकी की सभी पूजा-विधि पहले की तरह ही होगी. भगवान भोग ग्रहण करें इसके लिए अल्प-काल के लिए समय-समय पर पर्दा किया जाएगा. रामनवमी तिथि पर शयन आरती संपन्न होजाने पर मंदिर निकास मार्ग पर भक्तों को प्रसाद भी दिया जाएगा. 

रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरणें (Ram Lalla Surya Tilak)

बीते 20 वर्षों में वैज्ञानिकों ने सूर्य की गति का अध्ययन अयोध्या के आकाश में किया फिर सटीक दिशा आदि तय किए गए. इसके बाद रिफ्लेक्टर और लेंस को मंदिर के ऊपरी तल पर स्थापित किया गया. सूर्य रश्मियों को घुमाकर रामलला के ललाट पर ले जाया गया. ऊपरी तल के लेंस पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी फिर तीन लेंस से होकर दूसरे तल के मिरर पर पहुंची. अंत में सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर 75 मिलीमीटर के टीके के रूप प्रकाशित हुई. करीब चार मिनट तक यह टीका प्रकाशित हुआ. यह समय भी सूर्य की गति के साथ ही दिशा पर आधारित है और इसी पर निर्भर रहा. 

रामलला के सूर्य तिलक के समय नौ शुभ योग 
रामलला का जन्मोत्सव दोपहर 12 बजे से मनाया जा रहा है और इस दौरान सूर्य तिलक भी किया गया. केदार, गजकेसरी, पारिजात, अमला, शुभ, वाशि, सरल, काहल के साथ ही रवियोग उस समय बना रहा. आचार्य राकेश तिवारी की माने तो रामजन्म के समय अपनी उच्च राशि में सूर्य व शुक्र विराजमान थे, ऐसे वाल्मीकि रामायण में लिखा है. चंद्रमा स्वयं की राशि में स्थित थे. इस वर्ष भी ऐसी ही स्थिति बन रही है. ये शुभ योग अयोध्या समेत संपूर्ण भारत के विकास का रास्ता प्रशस्त करेंगे.

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