Valmiki Ramayana: रामायण के आलावा 300 ग्रन्थ हैं श्रीराम के जीवन पर आधारित, जानें कौन सी बातें हैं इनमें खास
Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha Live Update: प्रभु श्रीराम के भक्त केवल भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हैं. देश और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में रामायण की ही तर्ज पर अनेक राम कहानियां मौजूद हैं. जानें भारत से लेकर थाईलैंड तक कितनी अलग है प्रभु राम की जीवनी....
Ayodhya Dham Live: भगवान राम के भक्त किसी देश या समय की सीमा में नहीं है. युगों से राम कहानी सुनी सुनाई जा रही है. अलग अलग समय में भगवान राम के भक्तों तक ये राम कथा अलग अलग रूपों में पहुंची है.प्रभु राम के जीवन पर आधारित अनेक ग्रन्थ मौजूद हैं. अनेक भाषाओँ में लिखी गई ये राम कथाएं अलग हैं. इनमें प्रभु राम के किरदार में भी थोड़ा बहुत बदलाव देखने को मिलता है. इक्ष्वाकु वंश के राजा रामचंद्र पर आधारित वाल्मीकि रामायण में 24,000 श्लोक हैं. त्रेतायुग की इस रामायण को इसलिए सबसे ज्यादा प्रामाणिक भी माना जाता है, क्योंकि इसकी रचना ऋषि वाल्मीकि ने भगवान् राम के समय में ही की थी. इसे संस्कृत भाषा में लिखा गया है. अब जब देश में भगवान श्री राम का मंदिर बनकर तैयार है तो लोगों में रामायण के प्रति भी रूचि बढ़ रही है.
रामायण और श्रीरामचरितमानस
अलग अलग रामकथाओं का मूलभाव तो एक ही है लेकिन इसके स्वरुप में कुछ बदलाव जरूर हैं. भारत में रामायण के बाद श्री राम के जावन पर आधारित सबसे लोकप्रिय ग्रन्थ श्रीरामचरित मानस है. इसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी भाषा में की थी. यह भाषा अवध में बोली जाती है, जिसका ज्यादातर हिस्सा राम के राज्य में आता है. अयोध्या के भाषा अवधी थी.
उड़िया भाषा में राम कथाएं
देश विदेश में कई भाषाओं रामकथा पाई जाती है, लेकिन अनुमान है कि संस्कृत और उड़िया भाषा में सबसे ज्यादा रामकथाएं हैं. उड़िया भाषा भारत के ओडीसा राज्य में सबसे अधिक बोली जाती है. उड़िया में 14 रामकथाएं मिलती हैं. वाल्मीकि रामायण, वशिष्ठ, कालीदास और अगस्त्य जैसे ऋषियों और कवियों को मिलाकर संस्कृत में भगवान राम से जुड़े लगभग 17 ग्रंथ हैं.
थाईलैंड और श्रीलंका में भी श्रीराम कथाएं
भारत के पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान और श्रीलंका के अलावा दुनिया के कई देशों में रामकथाएं लिखी गई हैं. लाओस, कंपूचिया, इंडोनेशिया, बाली, जावा,मलेशिया, कंबोडिया से लेकर थाईलैंड जैसे कई देशों में यह लोक संस्कृति का हिस्सा है. कुछ देशों में ग्रंथों, शिलालेख, भित्तिचित्र, और सिक्कों में भी भगवान राम के जीवन कि झलकियां मिलती हैं. श्रीलंका में प्रचलित जानकी हरण ग्रंथ सबसे प्रमुख है. इसके रचनाकार कुमार दास महाकवि 512 से 521 ईस्वी के बीच लंका के राजा भी थे. वहीं सिंहली भाषा में 700 ईसा पूर्व से ही वहां मलेराज की कथा का अस्तित्व मिलता है, जो प्रभु राम के जीवन पर आधारित पुस्तक है.