काशी विश्वनाथ के पुजारी को 80 हजार, अयोध्या के पुजारियों का वेतन भी ऊंचा... दिल्ली के मुकाबले UP में मोटी सैलरी
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काशी विश्वनाथ के पुजारी को 80 हजार, अयोध्या के पुजारियों का वेतन भी ऊंचा... दिल्ली के मुकाबले UP में मोटी सैलरी

Ayodhya Pujari Salary: मंदिर में पुजारी भगवान की रोजाना सेवा करते हैं. मंदिर में पूजा करने वाले पुजारियों को कई जगह सैलरी भी मिलती है. इसमें अयोध्या में राम मंदिर भी शामिल है.

Pujari Salary

Pujari Salary: मंदिर में भक्तों के अलावा एक ऐसा भी शख्स होता है जो भगवान का पूजा-पाठ करता है. जिसे हम पुजारी के रूप में जानते हैं. पुजारी भगवान की रोजाना सेवा करते हैं और भक्तों की भेंट को भगवान तक पहुंचाने और भगवान का प्रसाद भक्तों तक पहुंचाते हैं. मंदिर में पूजा करने वाले पुजारियों को कई जगह सैलरी भी मिलती है. इसमें अयोध्या में राम मंदिर भी शामिल है.

कई मंदिरों में पुजारियों को मिलती सैलरी
हाल ही में दिल्ली में विधानसभा चुनाव के दौरान आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथियों को 18 हजार रुपये हर महीने सम्मान राशि देने का ऐलान कर चुके हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि अयोध्या का भव्य राम मंदिर हो या वाराणसी में काशी  विश्वनाथ मंदिर. यहां के मंदिर के पुजारियों को सैलरी दी जाती है. चलिए आइए जानते हैं इसके बारे में. 

राम मंदिर पुजारी कितनी सैलरी?
अयोध्या में राम मंदिर में रामलला को विराज एक साल होने को आया है. यहां जनवरी में पहली वर्षगांठ मनाई जाएगी. मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास हैं. जो यहां करीब 34 साल से सेवा कर रहे हैं. 80 वर्षीय सत्येंद्र दास 1992 से यहां मुख्य अर्चक हैं. पहले उनको केवल 100 रुपये मिलते थे. लेकिन मंदिर के ट्रस्ट ने उनकी सैलरी 38500 रुपये हो गईहै. ट्रस्ट ने उनको आजीवन सैलरी देने का फैसला किया है.

काशी विश्वनाथ मंदिर
यही नहीं काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से भी इसी साल फरवरी में ऐलान किया जा चुका है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी को मानदेय के तौर पर 90 हजार रुपये प्रतिमाह मिलेंगे. वहीं, कनिष्ठ पुजारी को 80 हजार रुपये, और सहायक पुजारियों को 65 हजार रुपये सैलरी मिलेगी. इनकी भर्ती के लिए बाकायदा नोटिफिकेशन भी जारी किया जाएगा. फरवरी में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की बैठक में पुजारी सेवा नियमावली को लेकर सहमति बनी थी.

 

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