Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में एम्स में 26 दिसंबर की रात को निधन हो गया. पूर्व पीएम के निधन पर सरकार ने 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. मनमोहन सिंह संत छवि के नेता के रूप में जाने जाते थे.कांग्रेस पार्टी के लिए पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह ने काफी ज्यादा काम किया और अहम योगदान दिए, जिसके बाद उन्हें कई बार राज्यसभा भेजा गया. मनमोहन सिंह का यूपी के बाबरी मस्जिद केस भी कनेक्शन रहा. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराई गई थी. जिसके 10 दिन बाद पीवी नरसिम्हा राव सरकार जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्रहान (Manmohan Singh Liberhan) को मामले की जांच के लिए कहा था. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...


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बाबरी मस्जिद कांड में 32 आरोपी बरी


बाबरी मस्जिद गिराए (Babri Mosque Demolition) जाने को लेकर सीबीआई की स्पेशल कोर्ट का फैसला में देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व HRD मंत्री मुरली मनोहर जोशी समेत 32 आरोपियों को बरी कर दिया गया है. कोर्ट के फैसले को बीजेपी नेता सत्य की जीत बता रहे थे तो वहीं सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं भी आईं.


बाबरी मस्जिद की रिपोर्ट सौंपने में क्यों लगे 17 साल?


बाबरी मस्जिद के मामले में फैसला 30 सिंतबर 2020 को आया पर इसकी जांच की रिपोर्ट साल 2009 में सौंप दी गई थी. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराने के ठीक 10 दिन बाद पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्रहान को मामले की जांच करने के लिए कहा था. इसे लिब्रहान कमीशन के तौर पर भी जाना जाता है. लिब्रहान कमीशन को तीन महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपनी थी. लेकिन रिपोर्ट सौंपने में 17 साल का समय लग गया.उस समय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस रहे मनमोहन सिंह लिब्रहान को जल्दी से जल्दी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था. लेकिन इस एकल आयोग ने 48 बार एक्सटेंशन लिया. तब जाकर साल 2009 में जाकर रिपोर्ट सौंपी गई थी. जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्रहान ने पीएम मनमोहन सिंह को सौंपी थी रिपोर्ट जिस समय रिपोर्ट सौंपी गई उस समय भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे. जस्टिस लिब्रहान ने रिपोर्ट भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी थी. जिस समय रिपोर्ट सौंपी गई उस समय देश के तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम भी मौजूद थे.


जस्टिस लिब्रहान ने मानी थी ये बात


हालांकि बाद में एक मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में खुद जस्टिस लिब्रहान ने ऐसा माना था कि ये उनकी कोशिशों की बर्बादी थी. जस्टिस लिब्रहान ने अपनी रिपोर्ट में राजकीय सत्ता हासिल करने के लिए धर्म का इस्तेमाल के रोकने को लेकर सजा के प्रावधान की सिफारिश की थी. इंटरव्यू में जस्टिस लिब्रहान ने यह भी माना था कि बाबरी मस्जिद को गिराना एक सोची-समझी साजिश थी. हालांकि बाबरी विध्वंस से जुड़े आरोपी हमेशा इस बात से इंकार करते रहे.


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