Sawan Mela in Ayodhya: अयोध्या में आज से सावन मेला की शुरु हुआ. कनक भवन समेत अन्य मंदिरों में झूले पर राम जी विराजमान किए गए और रथ से उनको मणिपर्वत ले जाया जाएंगे.
अयोध्या के इस प्रसिद्ध सावन मेला को मणिपर्वत झूला मेला के तौर पर भी जाना जाता है. शाम को कनक भवन के साथ ही श्रीरामवल्लभाकुंज समेत एक हजार मंदिरों में झूला उत्सव का आयोजन किया गया गया.
मंदिरों में भगवान के अचल विग्रह झूलन पर विराजे गए. फिर धूमधाम से रथ पर मणिपर्वत ले जाया गया.
मान्यता है कि जब प्रभु राम विवाह के बाद माता सीता को अयोध्या ले आए तो राजा जनक ने महाराजा दशरथ को उपहार में मणियों की श्रृंखला भेंट की थी.
कहा जाता है कि भगवान राम ने माता सीता के साथ अयोध्या के मणि पर्वत पर सावन माह की तृतीया तिथि पर यानी कि हरियाली तीज पर झूले का आनंद लिया था. त्रेता युग की यह परंपरा आज भी दोहराई जाती है और यह कलयुग में चली आ रही है.
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक मणि पर्वत का इतिहास बहुत पुराना है. त्रेता युग के समय से ही राजा जनक अयोध्या पहुंचे थे. उपहार स्वरूप मणियों की श्रृंखला भी ले आए जिसे राजा दशरथ ने विद्या कुंड के पास स्थित जनौरा गांव के पास रखा और इससे एक पहाड़ नुमा आकृति बन गई.
इस पर्वत पर सावन माह की हरियाली तीज पर लाखों भक्त आते हैं. मान्यता है की मणि पर्वत पर जो भक्त जाकर भगवान का दर्शन पूजन करते हैं, उनको कई गुना पुण्य मिलता है.
प्रतिवर्ष यहां पर सावन में झूलन उत्सव होता है. भगवान राम माता सीता झूला झूलते हैं और इस तरह का आयोजन हर वर्ष किया जाता है.