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अयोध्या: अयोध्या के पौराणिक कुंडों को एक बार फिर से अपना स्वरूप मिलने जा रहा है. यही नहीं वॉटर लेवल के कम होते श्रोतों को भी सुधारने का एक बड़ा प्रयास अयोध्या नगर निगम, सीएफएम एनजीओ के सहयोग से करने जा रही है. वैदिक शास्त्रों के अनुसार शोधन क्रिया से पानी को एक बार फिर प्रयोग योग्य बनाया जा सकता है और इस क्रिया से वॉटर लेवल को भी संभाला जा सकता है
अयोध्या नगर निगम नगर आयुक्त विशाल सिंह ने पहल की है. इस क्रिया को वैदिक पद्धति विज्ञान क्रिया के नाम से जाना जाता है. इसमे वैदिक रीति से बनाए गए अर्क से पानी का ट्रीटमेंट किया जा रहा है. इसकी शुरुआत भी अयोध्या में हो चुकी है. वैदिक शास्त्र में पानी के शोधन की क्रिया को भी बताया गया है और वैदिक रीति विज्ञान से अर्क के माध्यम से पानी के मृत अवस्था को एक बार फिर से रिचार्ज किया जा रहा है.
वैदिक पद्धित से बने अर्क से साफ होगा पानी
अयोध्या के सिविल लाइन में बने एक तालाब को शुद्ध करने का कार्य किया जा रहा है. सीएफएम के सौरव घोष का कहना है कि तालाब के बदबूदार पानी पर ऑयल, फैट व ग्रीस की परत जम गई थी. जिसे वैदिक पद्धति के अर्क से उपचार शुरू किया तो पानी के अंदर ऑक्सीजन प्रदान करने वाले जीवाणु व प्लांट एक्टिवेट हो जाते हैं. पानी में ऑक्सीजन बनना शुरू हो जाता है और वह श्रोत एक्टिव हो जाता है. महज एक लीटर वैदिक पद्धति से बने अर्क 10 हजार लीटर पानी में मिलाकर कुंडों को साफ किया जा रहा है. इस पद्धति से जमीन के नीचे पानी का लेबल में भी सुधार हो रहा है.
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नगर आयुक्त विशाल सिंह का कहना है कि 107 पौराणिक कुंडों को रीजनरेट किया जा रहा है. वैदिक ट्रीटमेंट से तालाबों में गिर रहे नाली व सीवेज के पानी को बदबू रहित किया जा रहा है. वैदिक रीति के ट्रीटमेंट से वॉटर लेवल में परिवर्तन देखने को मिला है.
नगर आयुक्त का कहना है कि लगभग दो करोड़ के इस प्रोजेक्ट को पर्यटन विभाग के पास स्वीकृत के लिए भेजा गया है और पर्यटन विभाग के सहयोग से अयोध्या के पौराणिक कुंडू तालाबों का वैदिक रीति से ट्रीटमेंट किया जाएगा.
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