Azamgarh News: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के महराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध चार महाविद्यालयों के खिलाफ फर्जी तरीके से मान्यता लेने के मामले में शिकंजा कसा गया है. एनसीईटी द्वारा जांच में चार महाविद्यालयों में बीएड की मान्यता को फर्जी करार देने के बाद कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार शर्मा ने उनकी मान्यता को रद्द करते हुए उनपर तीन-तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. और साथ ही इन महाविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को दूसरे महाविद्यालयों में समायोजित करा दिया है.


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आजमगढ़ जनपद में स्थापित
ज्ञात हो आजमगढ़ जनपद में स्थापित महराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय से आजमगढ़ और मऊ जिले के कुल 438 महाविद्यालय संबद्ध हैं. इन महाविद्यालयों में 15 सरकारी सहायता प्राप्त गैर-सरकारी कॉलेज, चार सरकारी कॉलेज और 419 स्व-वित्तपोषित कॉलेज शामिल हैं. विश्वविद्यालय और उसके महाविद्यालयों में कृषि, कला, वाणिज्य, शिक्षा, कानून और विज्ञान संकाय के तहत विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रम चलाए जाते हैं.


प्रमुख स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रम
स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में बीए, बीएड, बीएससी, बीएससी एजी, बीकॉम और एलएलबी प्रमुख हैं. परास्नातक पाठ्यक्रमों में एमए, एमएड, एमएससी, एमएसी एजी, एमकाम और एलएलएम प्रमुख हैं. आपको बता दें विश्वविद्यालय से संबद्ध इन महाविद्यालयों में 131 महाविद्यालय बीएड की कक्षाओं का संचालन करते हैं. जिसमें कुल 11650 सीटें उपलब्ध हैं. 


इन चार महाविद्यालयों की हुई मान्यता रद्द
ऐसे ही संचालित चार महाविद्यालयों जिसमें मऊ के एक रामलखन पीजी कॉलेज मऊ में 100 सीट, आजमगढ़ के ईशमती देने महिला महाविद्यालय बनकट आजमगढ़ में 100 सीटों की मान्यता फर्जी पाई गई हैं. इनके द्वारा बीएड की कक्षाओं का संचालन किया जा रहा था जबकि इन दोनों महाविद्यालयों के पास बीएड की मान्यता थी ही नहीं. वहीं शेखर सोशल महिला महाविद्यालय एंड एजुकेशनल फाउंडेशन के साथ एक और महाविद्यालय द्वारा 50 सीटों की मान्यता तो सही पाई गई जबकि 50-50 सीटों की मान्यता फर्जी पाई गई.  


मान्यता लेते समय एनसीईटी की वेबसाइट पर शो कर रहा था विद्यालयों का नाम
रजिस्ट्रार विशेश्वर प्रसाद की मानें तो बीएड की मान्यता के लिए पहले संबंधित महाविद्यालय को राज्य सरकार से एनओसी लेनी पड़ती है. एनओसी मिलने के बाद उसे एनसीईटी की वेबसाइट पर मान्यता के लिए आवेदन करना होता है. इन महाविद्यालयों द्वारा मान्यता के लिए आवेदन किया गया था जो एनसीईटी की वेबसाइट पर शो भी कर रहा था. और इसी कारण इन लोगों ने बढ़ी सीटों पर एडमिशन लेना शुरू कर दिया था.


एमएड की मान्यता भी संदेह के घेरे में
रजिस्ट्रार विशेश्वर प्रसाद ने बताया कि महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध कई महाविद्यालयों में एमएड की कक्षाएं भी संचालित होती हैं. जिसमें काफी संख्या में विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं. इन महाविद्यालयों में संचालित एमएड की मान्यता भी संदेह के घेरे में हैं. ऐसे में इन जिन महाविद्यालयों में एमएड की कक्षाएं संचालित हो रही हैं उनके भी सत्यापन के लिए लिखा गया है.


 


 


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