त्रिपुरेश त्रिपाठी/देवरिया: देवरिया सदर भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर अल्टीमेटम दिया है कि श्रवण मास से पहले देवरिया रेलवे स्टेशन रोड दुर्गा मंदिर के समीप जो अवैध मांस की बिक्री और अवैध दुकानें संचालित हो रही हैं, उनको तत्काल बंद किया जाए नहीं तो वह खुद सड़क उतरेंगे और दुकानों को बंद कराएंगे. इसकी सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी. 


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क्या लिखा पत्र में?
शलभ मणि ने लिखा, देवरिया रेलवे स्टेशन के पास स्थित दुर्गा मंदिर के आस-पास बड़ी संख्या में बूचड़खानों का संचालन तथा खुले में मांस की बिक्री हो रही है, जिसकी वजह से पूरा इलाका बदबू से भरा रहता है. ट्रेन से आने वाले लोग रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते हैं, तो दुर्गन्ध और खुले में मांस बिक्री की वजह से उनके जेहन में जिले की बेहद खराब छवि बनती है, साथ ही आम जनमानस भी इस समस्या से काफी त्रस्त है. ये तब हो रहा है जबकि मुख्यमंत्री खुद निर्देशित कर चुके हैं कि खुले में मांस की बिक्री ना होने दी जाए और ऐसे अवैध बूचड़खाने तत्काल बंद किए जाएं.


प्रशासन पर साधा निशाना
देवरिया रेलवे स्टेशन के बाहर हो रहे इस अवैध कारोबार की बात है तो इस प्रकरण में कई वर्षों पहले जब मुख्यमंत्री गोरखपुर के सांसद थे तब उनके नेतृत्व में मंदिर परिसर के आस-पास होने वाली मांस-बिक्री को लेकर आंदोलन हुआ था और मांस की दुकानें बंद कराई गयी थीं. ऐसे में दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई बार आपको व एडीएम प्रशासन को व्यक्तिगत तौर पर बताए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है, ऐसा लगता है प्रशासन इस दिशा में कुछ भी करना नहीं चाहता.


बंद हो खुले में मांस की बिक्री
आगे लिखा कि श्रावण मास शुरू होने जा रहा है, आपसे अपेक्षा है कि भावस मास प्रारंभ होने से पूर्व इन अवैध बूचड़खानों तथा खुले में हो रही मांस बिक्री पर तत्काल प्रतिबंध लगाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें. मैं खुद श्रावण मास के शुरू होने से पूर्व स्थानीय जन के साथ इस पूरी सड़क का निरीक्षण करूंगा और यदि मौके पर ऐसी अवैध दुकानें चलती नजर आई तो उन्हें बंद कराऊंगा. ऐसे में कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न ना हो, ये प्रशासन की जिम्मेदारी होगी.


मीट विक्रेताओं का क्या कहना?
मामले की सच्चाई जानने जी मीडिया की टीम रेलवे स्टेशन रोड दुर्गा मंदिर के पास पहुंची. जहां खुले में मांस की बिक्री हो रही थी. जब हमने मीट विक्रेता दुकानदारों से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां पहले नगर पालिका द्वारा बिल्डिंग बनाई गई थी. 2007 में बिल्डिंग गिर गई उसके बाद हम लोग की मजबूरी है हम लोग खुले में मीट बेचते हैं, यही हम लोग की रोजी-रोटी का साधन है. इन लोगों ने कहा कि कई बार नगर पालिका से बात की लेकिन बिल्डिंग का निर्माण नहीं हुआ. जिसकी वजह से सड़क पर हम लोग मीट बेच रहे हैं. अगर जगह का निर्धारण हो जाएगा तो हम लोग वहीं मीट बेचेंगे. 


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