लखनऊ: कानपुर हत्याकांड के अपराधी विकास दुबे और उसके फायनेंसर जय बाजपेयी के आर्थिक लेनदेन मामले में साबुन कारोबारी से पूछताछ होगी. इसे लेकर प्रवर्तन निदेशालय साबुन कारोबारी को फिर से नोटिस जारी करने वाला है. प्रवर्तन निदेशालय ने नवंबर माह में भी इस साबुन कारोबारी को नोटिस देकर बुलाया था, पर वह नहीं आया था. बदल में उसने अपने दो कर्मचारी भेजे थे. निदेशालय ने उनसे दस्तावेज ले लिए थे पर कोई पूछताछ नहीं की थी. निदेशालय के अधिकारियों ने उस समय भी कारोबारी को पूछताछ के लिए हाजिर होने को कहा था पर अभी तक यह संभव नहीं हो सका है. 


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निदेशालय इस कारोबारी को फिर नोटिस जारी करने जा रहा है. कारोबारी को बैंक खातों के साथ उपस्थित होने को कहा जाएगा. इस पर विकास दुबे के साथ पैसे के लेनेदेन का आरोप है. निदेशालय ने इसके साथ विकास दुबे की पत्नी से उसके व परिवार के लोगों के बैंक खातों का ब्यौरा हासिल कर लिया है, जिसकी जांच की जा रही है. 


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विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे पर भी शिकंजा
वहीं पुलिस ने विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है. रिचा दुबे की गिरफ्तारी जल्द ही हो सकती है. SIT की रिपोर्ट में सामने आया था कि रिचा ने पर फर्जी आधार कार्ड से सिम खरीदा था. इसी आरोप पर उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है. चार्जशीट लगने तक रिचा दुबे ने कोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग भी की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. बता दें, विकास दुबे के खास रहे गुड्डन त्रिवेदी की पत्नी को भी अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया है. बीते गुरुवार दोनों के प्रार्थना-पत्रों पर सुनवाई हुई थी. सुनवाई के बाद फैसले में दोनों आरोपियों को कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली.


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इन लोगों पर फर्जी सिम रखने का आरोप
फर्जी सिम का इस्तेमाल करने के आरोप में विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे, साथी रामसिंह, मोनू, शिव तिवारी उर्फ आशुतोष त्रिपाठी, घटना में सहयोग करने वाली शांति देवी, अमर दुबे की पत्नी खुशी, रेखा अग्निहोत्री, साथी विष्णुपाल उर्फ जिलेदार और विकास दुबे का भाई दीपक उर्फ दीपप्रकाश शामिल हैं. 


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2 जुलाई की रात बिकरू गांव में क्या हुआ था?
2 जुलाई की रात विकास दुबे को गिरफ्तार करने बिकरू गांव गई पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी. पुलिस वालों पर यह फायरिंग गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने की थी. इस घटना में तत्कालीन बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्रा समते 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि 6 अन्य चोटिल हो गए थे. घटना के बाद विकास दुबे एक हफ्ते तक फरार रहा. उसे उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया था. वहां से वापस कानपुर लाए जाने के दौरान रास्ते में विकास दुबे और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई. गैंगस्टर इस मुठभेड़ में पुलिस की गोली से ढेर हो गया था.


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