लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र-2023 आज से शुरू होने जा रहा है. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण से इसकी शुरुआत होगी.   योगी सरकार का बजट 22 फरवरी को पेश होगा. पहले दिन विपक्ष में अखिलेश यादव और शिवपाल एक साथ बैठे नजर आ सकते हैं.कानपुर में मां-बेटी के जिंदा जलने, लॉ एंड ऑर्डर, सूखा, महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दों पर सरकार की घेराबंदी की तैयारी है.  इसलिए सत्र हंगामेदार रह सकता है.


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सपा ने की सरकार को घेरने की तैयारी
सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में समाजवादी पार्टी बीजेपी सरकार पर आक्रामक नजर आएगी. सपा कानून-व्यवस्था ,जातीय जनगणना जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है.  पार्टी के दोनों सदनों के सदस्य सदन के पहले दिन विधानभवन के सामने स्थित चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के सामने विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रदर्शन करेंगे, उसके बाद सदन में जाएंगे.


शिवपाल यादव ने की विधानमंडल दल की बैठक की अगुवाई
बजट सत्र से पहले  रविवार को सपा कार्यालय पर विधानमंडल दल की बैठक हुई. लेकिन सपा की इस बैठक की अध्यक्षता अखिलेश यादव ने नहीं, बल्कि उनके चाचा शिवपाल यादव ने की. मंच पर उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, सचेतक मनोज पांडेय, राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी सहित अन्य चेहरे भी मौजूद रहे. बैठक में तय किया गया कि विधानसभा सत्र के दौरान पार्टी किन मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी.  अभी तक कानपुर प्रकरण को जोड़ते हुए कानून व्यवस्था, जातीय जनगणना आदि मुद्दों को प्रमुखता के तौर पर उठाने की रणनीति है.


करीब सात साल के बाद पार्टी कार्यालय पहुंचे थे शिवपाल
सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव करीब 7 साल बाद रविवार को पार्टी कार्यालय पहुंचे .2017 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवपाल सपा दफ्तर नहीं गए थे.  पिछले दिनों विधानसभा चुनाव 2022 के दरमियान भी वह पार्टी कार्यालय में जाकर सिंबल लेने जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट पहुंचे थे. विभिन्न दलों के साथ होने वाली बैठक में भी वह ट्रस्ट में ही जाते थे. मैनपुरी उपचुनाव के दौरान सैफई परिवार एक हुआ और उसके बाद अखिलेश ने शिवपाल को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया.


सदन में मुखर रहेंगे शिवपाल
सपा के विधायक रहते हुए भी उन्होंने करीब साढ़े पांच साल तक पार्टी में 'एकांतवास' काटा.  लेकिन, इस बार  शिवपाल यादव विपक्ष के मुखर चेहरे के तौर पर नजर आएंगे.  पार्टी ने उनके लिए अखिलेश यादव के बगल की सीट आरक्षित की है. ऐसे में सदन में वह अखिलेश के साथ पार्टी के मुद्दों की अगुआई करते नजर आ सकते हैं.  


शिवपाल ने किया धार्मिक विषयों पर टिप्पणी करने के लिए मना  
शिवपाल यादव ने रामचरितमानस को लेकर चल रहे विवाद पर नेताओं और कार्यकर्ताओं से विराम लगाने के लिए भी कहा है.  उन्होंने इस मामले में किसी भी कार्यकर्ता को कोई बयान नहीं देने की हिदायत भी दी है. 


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