CAA Notification: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों के ऐलान से पहले नागरिकता संशोधन (अधिनियम) 2019 पर नोटिफिकेशन जारी हो गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार 11 मार्च 2024 को नागरिकता संशोधन (अधिनियम) 2019 को लागू करने की घोषणा की गई है.


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इस विधेयक की अधिसूचना जारी होने के साथ अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों से गैर-मुस्लिम लोगों के भारत आने का रास्ता आसान हो जाएगा. सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान से दुबई और नेपाल के रास्ते भागकर उत्तर प्रदेश के नोएडा पहुंची सीमा हैदर को भी इससे नागरिकता मिल जाएगी. विशेषज्ञों का कहना है कि सीमा हैदर का केस अलग है. क्योंकि एक तो वो मुसलमान है, जो नागरिकता कानून के दायरे में नहीं आएंगे. दूसरा, उसका मामला पाकिस्तान या किसी अन्य देश में प्रताड़ित नागरिक का नहीं है. 


CAA को भारतीय संसद द्वारा दिसंबर 2019 में पारित किया गया था. CAA और NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स-National Register of Citizens) को लेकर देश में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे.


सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार 11 मार्च को केंद्र सरकार  की ओर से नागरिकता संशोधन (अधिनियम) 2019  का नोटिफिकेशन जारी हो सकता है. इस नोटिफिकेशन के जारी होने के बाद देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू हो जाएगा. इस अधिनियम की अधिसूचना जारी होने के साथ अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों से गैर-मुस्लिम लोगों के भारत आने का रास्ता आसान हो जाएगा. 


अमित शाह के अनुसार
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कई बार अपने भाषणों में CAA और NRC को लागू करने की बात कर चुके हैं. हाल में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि इसको लेकर देश में किसी को कोई कन्फ्यूजन नहीं रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह कानून 2019 में पारित हुआ था. इसके संबंध में नियम जारी करने के बाद लोकसभा चुनाव से पहले ही इसे लागू किया जाएगा. सीएए देश का कानून है. इसकी अधिसूचना निश्चित रूप से हो जाएगी. लोकसभा चुनाव से पहले CAA अमल में आ जाएगा और इसे लेकर किसी तरह का कोई भ्रम नहीं रखना है.


दिल्ली में हुआ था आंदोलन
सीएए के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत असम से हुई थी और फिर यह धीरे-धीरे दिल्ली, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में में फैल गया था. सीएए के जरिए हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ऐसे ईसाई लोगों की नागरिकता का रास्ता आसान हो जाएगा जो 2014 के पहले भारत में आए थे. इसका आधार धार्मिक प्रताड़ना को बनाया गया था. इस बिल में मुस्लिमों का जिक्र नहीं किया गया था. इसके अलावा श्रीलंका से आने वाले तमिल, म्यांमार से रोहिंग्या और तिब्बती शरणार्थियों का जिक्र भी नहीं था.