मार्केट में आया गाय के गोबर से बना पेंट; पर्यावरण, कस्टमर, किसान, सबको होगा फायदा
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मार्केट में आया गाय के गोबर से बना पेंट; पर्यावरण, कस्टमर, किसान, सबको होगा फायदा

गौशालाओं की आमदनी बढ़ाने में भी इस पेंट की अहम भूमिका होगी. इस पेंट के निर्माण से किसान या गौशाला को एक पशु से हर साल तकरीबन 30,000 रुपये की आमदनी हो सकेगी.

मार्केट में आया गाय के गोबर से बना पेंट; पर्यावरण, कस्टमर, किसान, सबको होगा फायदा

गोरखपुर: आपने गाय के गोबर से पेस्टीसाइड और दीये बनते तो सुना होगा. लेकिन इस बार आपके लिए एक नई चीज आई है. गाय के गोबर से बना पेंट. वह पेंट जिससे आप घर या ऑफिस की दीवारें रंगते हैं. दरअसल, खादी इंडिया गाय के गोबर से बना पेंट लेकर आया है. इस पेंट को बाजार में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने लॉन्च किया. इसे खादी ग्राम उद्योग ने बनाया है. गोबर से बना ये पेंट में साइंटिफिक टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार किया गया है. खादी प्राकृतिक पेंट (Khadi Prakritik Paint) के नाम से लॉन्च किए गए इस पेंट को वेदिक पेंट (Vedic Paint) नाम दिया जा रहा है.

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गाय के गोबर से बने पेंट की बिक्री खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने मदद की. इस गोबर पेंट को खादी और ग्रामोद्योग आयोग की जयपुर की इकाई कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट (Kumarappa National Handmade Paper Institute) ने तैयार किया है. खास बात ये है कि इस पेंट को बीआईएस (The Bureau of Indian Standards) यानि भारतीय मानक ब्यूरो भी प्रमाणित कर चुका है. किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में गाय के गोबर से बना पेंट एक बड़ा कदम है. 

एंटीफंगल-एंटीबैक्टीरियल है ये पेंट
खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अनुसार यह प्राकृतिक पेंट एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल होने के साथ इको फ्रेंडली भी है. दीवार पर लगाने के बाद यह सिर्फ चार घंटे में ही सूख जाएगा. इस पेंट में आप अपनी जरूरत के हिसाब से रंग भी मिला सकते हैं.

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मिलेंगे डिस्टेंपर और प्लास्टिक पेंट
खादी प्राकृतिक पेंट दो तरह से उपलब्ध होगा, डिस्टेंपर पेंट और प्लास्टिक एम्युनेशन पेंट. जानकारी के मुताबिक, इस पेंट में हैवी मैटल (heavy metals) जैसे- सीसा (lead), पारा (mercury), क्रोमियम (chromium), आर्सेनिक, कैडमियम, आदि का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं हुआ है. फिलहाल इसकी पैकिंग 2 लीटर से लेकर 30 लीटर तक तैयार की गई है. 

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हर पशु पर 30,000 रुपये की इनकम
खादी और ग्रामोद्योग आयोग का कहना है कि इस पेंट से स्थानीय निर्माताओं को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे. पेंट की इस तकनीक से गाय के गोबर का इस्तेमाल बढ़ेगा. गौशालाओं की आमदनी बढ़ाने में भी इसकी अहम भूमिका होगी. इस पेंट के निर्माण से किसान या गौशाला को एक पशु से हर साल तकरीबन 30,000 रुपये की आमदनी हो सकेगी.

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