Chandrayaan 3 update : चंद्रयान 3 मिशन के लिए कल बड़ा दिन, बड़े इम्तेहान से गुजरेगा भारत का चंद्र यान
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Chandrayaan 3 update : चंद्रयान 3 मिशन के लिए कल बड़ा दिन, बड़े इम्तेहान से गुजरेगा भारत का चंद्र यान

Chandrayaan 3: जब अगस्त में  Chandrayaan-3 को जब चंद्रमा के हाइवे पर डाला था, तब उसकी गति करीब 38,520 किलोमीटर प्रतिघंटा ही थी. जो कि अब घटकर करीब 37,200 किलोमीटर हो गई ही. अब आप खुद  से भी  Chandrayaan-3 को ट्रक कर सकते है, साथ ही जान सकते है कि द्रयान-3 अंतरिक्ष में कहां पहुंचा है इसकी गति क्या है.

 

Chandrayaan 3 update : चंद्रयान 3 मिशन के लिए कल बड़ा दिन, बड़े इम्तेहान से गुजरेगा भारत का चंद्र यान

Chandrayaan-3:  को चांद की सतह  पर उतरने में सिर्फ 20 दिन ही हैं. बताया जा रहा है कि दो दिन बाद वह चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ने का प्रयास कर सकता है . इसकी 100 फीसदी उम्मीद है कि चंद्रयान इस कार्य में जरूर सफल होगा.  इससे पहले भी इसरो वैज्ञानिक ये काम सफलतापूर्वक कर चुके है . जानिए चंद्रयान 3 अभी कहा है और अंतरिक्ष में किस ओर जा रहा है. 

इस समय चंद्रयान-3 करीब 37,200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चन्द्रमा के तरफ बढ़ रहा है. यात्रा फिलहाल हाइवे पर ही चल रही है  लेकिन दो दिन बाद वह चंद्रमा के ऑर्बिट में प्रवेश करेगा.  गति के मुताबिक 5 अगस्त 2023 की शाम 6 बजकर 59 मिनट पर चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से करीब 40 हजार किलोमीटर दूर होगा जिसके बाद चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति शुरू हो जाएगी.

23 अगस्त तक और कम की जाएगी स्पीड
चांद के ऑर्बिट तक जाने के लिए चंद्रयान-3 की गति को करीब 7200 से 3600 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी.  5 से लेकर 23 अगस्त तक चंद्रयान की स्पीड और भी काम हो जाएगी. देखा जाए तो चांद के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के हिसाब से फिलहाल चंद्रयान की अभी गति ज़्यदा है. इसके बाद  7200 या 3600 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार.से ही चंद्रयान-3 चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ेगा. 

ऑर्बिट नहीं मिला तो लौट सकता है चंद्रयान

चंद्रमा की ग्रैविटी पृथ्वी से 6 गुना होती है. इसी कारण  चंद्रयान-3  को भी अपनी गति कम करनी होगी. अगर ऐसा नहीं हुआ तो चंद्रयान 3 चांद से आगे निकल जाएगा. चंद्रयान-3 इस वक्त  288 x 369328 किलोमीटर की ट्रांस लूनर ट्रैजेक्टरी की यात्रा में प्रवेश कर रहा है  यदि  यह चांद का ऑर्बिट नहीं पकड़ पाता है , तो 230 घंटे बाद यह धरती के पांचवी कक्षा वाले ऑर्बिट में वापस आ जाएगा. इसके बाद इसरो के वैज्ञानिक इसे एक प्रयास के बाद वापिस भेज सकते है.

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