लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित काव्य संध्या का दीप जलाकर उद्घाटन किया. यह कार्यक्रम अटल बिहारी वाजपेयी कंवेंक्शन सेंटर केजीएमयू लखनऊ में हुआ. इस दौरान सीएम योगी के साथ कवि कुमार विश्वास, प्रदेश अध्य्क्ष स्वत्रंत देव सिंह, यूपी डिप्टी सीएम केशव मौर्या, यूपी डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, संगठन मंत्री सुनील बंसल और कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक भी मौजूद रहे. 


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सभी के प्रिय थे अटल जी 
काव्य संध्या में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अटल जी एक कवि और एक साहित्यकार थे. वह साहित्य से राजनीति में आए थे. अटल जी की स्मृतियों को काव्य संध्या के माध्यम से उपयुक्त श्रद्धांजलि दी गयी है. सीएम ने बताया कि 1957 में अटल जी राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखा और 2006 तक सक्रिय रूप से राजनीति को प्रभावित किया. अटल जी सत्ता में रहे या विपक्ष में रहे वह सभी के प्रिय रहे हैं. 


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अटल जी का सपना हुआ पूरा
सीएम ने कहा कि अटल जी का संदेश था कि राजनीति मूल्यों की होनी चाहिए, आदर्शों की होनी चाहिए. उनकी स्मृतियां सभी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल जी की कविताओं में राष्ट्र के प्रति जो भी भाव हैं, वो आज साकार होते दिख रहे हैं. जिस दिन कश्मीर में धारा 370 समाप्त हुई उस दिन उनकी आत्मा को शांति मिली होगी कि उनका एक सपना पूरा हुआ. 


370 खत्म करना महापुरुषों के लिए श्रद्धांजलि
सीएम ने कहा कि कश्मीर से धारा 370 खत्म करना और आतंकवाद का खात्मा उन महापुरुषों के लिए श्रद्धांजलि है, जिन्होंने इसके लिए सबसे ज्यादा संघर्ष किया है. उन्होंने कहा कि मंदिर तो अनेक बन सकते हैं पर अयोध्या में राम मंदिर आस्था का केंद्र बिंदु है. अयोध्या की पहचान प्रभु राम के साथ-साथ दीपोत्सव से भी होनी चाहिए. अयोध्या में दीपोत्सव का कार्यक्रम होता है, जो देश दुनिया मे अपना नाम कर चुका है. आगे सीएम ने कहा कि अयोध्या सांप्रदायिक नहीं बल्कि सद्भाव के नाम से पहचाना जाना चाहिए. 


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इंडोनेशिया के कलाकारों का किया जिक्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि,'' इंडोनेशिया से अयोध्या में रामलीला करने आए सभी कलाकार मुस्लिम थे. जब मैंने उनसे पूछा कि आप मुसलमान होकर भी ये पात्र करते हैं तो उन लोगों ने कहा कि हमारे लिए राम जी बहुत सम्मानीय है. वो हमारे पूर्वज हैं, इस्लाम हमारा मजहब है. मजहब देश, काल, परिस्थिति के हिसाब से बदलते हैं, पूर्वज नहीं. हमारा जो लहू है वह राम की परंपरा का है. इंडोनेशिया में गणेश की मुद्रा और गरुड़ के नाम पर विमान चलते हैं. कोई भी हमें राम से अलग नहीं कर सकता. इस पर मैंने कहा अगर आप भारत के अंदर ऐसा करते तो यहां फतवा जारी हो जाता.''


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आगे उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया के कलाकारों के जो भाव थे, उसे पहचाने का प्रयास अगर वामपंथी और सोशलिस्ट किये होते तो देश के प्रति विश्ववासघात करने और देश के प्रति नमकहरामी का अवसर नहीं आता. इस दौरान उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अगर भारतीयता के बारे में पढ़ना है तो डॉ लोहिया जी के बारे में पढ़ो. वहीं सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जो डॉ. लोहिया के नाम पर राजनीति करते हैं वह परिवारवाद में लिप्त हैं.


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