परिजनों ने ठेले पर लादकर मरीज को पहुंचाया हॉस्पिटल, अस्पताल प्रशासन ने यह कहकर पल्ला झाड़ा
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परिजनों ने ठेले पर लादकर मरीज को पहुंचाया हॉस्पिटल, अस्पताल प्रशासन ने यह कहकर पल्ला झाड़ा

झिनकान ने कई बार एंबुलेंस के लिए फोन किया, लेकिन फोन नहीं लगा. तबीयत ज्यादा खराब होने के चलते उन्होंने अपनी भाभी को ठेले पर ही लाद कर अस्पताल पहुंचाया.

ठेले पर खींच कर मरीज को अस्पताल ले जाता झिनकान.

बस्ती: उत्तर प्रदेश के बस्ती से एक खबर सामने आई है, जहां एक शख्स अपनी भाभी की जान बचाने के लिए ठेले पर लाद कर अस्पताल ले गया. दरअसल शख्स ने कई बार एंबुलेंस के लिए 108 पर कॉल किया. लेकिन कॉल नहीं लगी. इसके बाद मजबूर होकर झिनकान ने अपनी भाभी को एक ठेले की मदद से अस्पताल पहुंचाया.

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क्या है मामला?
मामला बस्ती जिले के हरैया ब्लॉक के इलाके का है. जहां एक शख्स ने इस कड़ाके की ठंड में ठेले पर मरीज को लेकर नेशनल हाईवे से होते हुए अपने गांव से 3 किलोमीटर दूर चलकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा.

हॉस्पिटल में नहीं थी स्ट्रेचर की भी व्यवस्था
ठेले पर महिला को इलाज कराने पहुंचे झिनकान ने बताया कि कई बार एंबुलेंस के लिए फोन किया गया, लेकिन फोन नहीं लगा. तबीयत ज्यादा खराब होने के चलते उन्होंने अपनी भाभी को ठेले पर ही लाद कर अस्पताल पहुंचाया. इतना ही नहीं अस्पताल मे स्टेच्रर न होने पर परिजनों ने ठेले में ही लादकर ओपीडी कक्ष तक भी पहुंचाया.

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अस्पताल की नहीं है कोई भूमिका
वहीं अधीक्षक डॉ. आर के यादव ने बताया कि हॉस्पिटल में एम्बुलेंस पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन इसकी मॉनिटरिंग लखनऊ से होने के चलते इसमें अस्पताल की कोई भूमिका नहीं है. तब भी अधिकतर मरीज एम्बुलेंस से ही आते हैं. उन्होंने बचाव करते हुए कहा कि हो सकता है कि नेटवर्किंग प्राब्लम्स के चलते फोन ना लगा हो. फिलहाल यह घटना शर्मनाक है. मैं जिले के उच्चधिकारियों को इसके बारे मे सूचित करुंगा.

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बेहतर नहीं हो रही व्यवस्था
आपको बता दें कि प्रदेश में यह कोई पहली घटना नहीं है. अक्सर एंबुलेंस की उपलब्धता न होने पर, कभी 108 पर कॉल नहीं मिलने पर, कभी जागरूकता की कमी के कारण ऐसी तस्वीरें सामने आती रहती हैं, जो व्यवस्था को शर्मसार करती हैं. इसके बावजूद जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग 108 जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था को बेहतर करने का प्रयास नहीं करते.

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