पापा मुझे मोबाइल नहीं दिलाते, बुलेट भी नहीं... मेरठ के बड़े बिजनेसमैन के 14 साल के बेटे ने ये कहते हुए दे दी जान
Meerut News: मेरठ में 14 साल के बच्चे ने पिता की लाइसेंसी रिवाल्वर से कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली क्योंकि उसके पिता ने उसे स्मार्ट फोन और बुलेट दिलाने से मना कर दिया था. इस घटना ने स्मार्टफोन की ख्वाहिश को एक फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है.
Meerut News: मेरठ में 14 साल के बच्चे ने पिता की लाइसेंसी रिवाल्वर से कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली. उसके पिता बड़े बिजनेसमैन हैं और इस समय कारोबार के लिए कनाडा में हैं. इस घटना की मेरठ में ही नहीं पूरे प्रदेश और देश में चर्चा हो रही है कि क्या बच्चों के लिए मोबाइल फोन इतना महत्वपूर्ण हो चुका कि अगर वो उन्हें नहीं मिला तो उनकी जिंदगी का कोई मतलब ही नहीं है.
10 वीं पढ़ता था 14 साल का अंगद
मेरठ की मार्मिक और दिल दहला देने वाली यह घटना बहसूमा थाना क्षेत्र के रामराज गांव की है. जहां 14 साल के अंगद ने पिता के लाइसेंसी रिवॉल्वर को अपनी कनपटी पर रखा और घोड़ा दबाकर अपनी जान दे दी. अंगद के पिता नितिन बडे़ बिजनेसमैन हैं और उनके दो बेटे हैं. बड़ा बेटा अंगद 10वीं क्साल में पढ़ता है. और छोटा बेटा अभी 10 साल का है.
नंबर कम आने पर अंगद को पड़ी थी डांट
अंगद के कक्षा 9 में कम नंबर आए थे. बीते मंगलवार को पिता ने फोन कर अंगद को पढ़ाई करने के लिए डांटा था. इससे नाराज होकर उसने ये कदम उठाया. रात घर पर दोनों बेटे अंगद, रुद्र और उनकी मां पूजा थी. मां बाथरुम में काम कर रही थी. 10 साल का छोटा बेटा रुद्र बाहर खेल रहा था. अंगद अपने कमरे में पढ़ रहा था. तभी अंगद ने अलमारी से रिवाल्वर निकाली और कनपटी पर सटाकर खुद को गोली मार ली. फायरिंग की आवाज सुनकर मां कमरे में पहुंची तो देखा बेटा बेड पर खून से लथपथ पड़ा था. पूजा ने परिवार के अन्य लोगों को जानकारी दी. परिजन तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने अंगद को मृत घोषित कर दिया.
अंगद का सुसाइड नोट
मरने से पहले 14 साल के अंगद ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने लिखा- "पापा ने मुझे मोबाइल चलाने पर डांटा है पापा आप मुझे मोबाइल नहीं दिलाते, मम्मी का मोबाइल यूज करने को कहते हो, बुलेट नहीं दिलाते, पुरानी बाइक मॉडिफाई नहीं कराते हो, परिवार के लोग मुझे प्यार नहीं करते हैं, इसलिए मैं जा रहा हूं..."
अंगद की खुदकुशी की चर्चा
14 साल के अंगद ने अपने सुसाइड नोटे में जो लिखा है उससे जाहिर होता है कि उसे मोबाइल फोन और बाइक बहुत पसंद थे. लेकिन पापा ने उसकी इच्छा पूरी नहीं कि और नंबर कम आने के लिए उसे डांटा भी. जिस किसी ने अंगद की मौत के बाद उसके सुसाइड नोट के बारे में सुना हैरान है कि आजकल के बच्चों को क्या हो गया है. क्या स्मार्ट फोन और बाइक माता-पिता से बढ़कर हो गए हैं. क्या उनके बिना जिंदगी का कोई मकसद नहीं रह जाता.
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