Uttarakhand News: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों के भेड़, बकरी, कुक्कुट और मछली पालकों के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट ने  निर्णय लिया है. इस फैसले से न केवल पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि स्वरोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा.


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क्या है सीएम का फैसला? 
बुधवार को सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा की उपस्थिति  निर्णय लिया गया. सरकार ने प्रदेश के भेड़, बकरी, कुक्कुट और मछलीपालकों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की बटालियनों को मांस और मछली की आपूर्ति करने की योजना को मंजूरी दी है. इससे प्रदेश की 80 से अधिक सहकारी समितियों और 11,000 से अधिक पशुपालकों को सीधा लाभ मिलेगा.


5 करोड़ रुपये देने की मंजूरी 
आईटीबीपी को जीवित भेड़, बकरी, कुक्कुट और मछली की आपूर्ति के लिए सहकारी समितियों के माध्यम से यह योजना जल्द शुरू की जाएगी. इसके लिए जल्द ही आईटीबीपी और सहकारी समितियों के बीच एक एमओयू किया जाएगा. साथ ही, राज्य सरकार ने इस योजना के तहत ब्याज रहित 5 करोड़ रुपये के रिवॉल्विंग फंड को भी मंजूरी दी है, ताकि पशुपालकों को समय पर भुगतान मिल सके.


योजना की शुरुआत तीन जिलों से
इस योजना का पहला चरण तीन सीमांत जिलों चमोली, उत्तरकाशी, और पिथौरागढ़ से शुरू किया जाएगा. इससे 11,000 से अधिक पशुपालक, जिनमें 7,000 महिलाएं शामिल हैं, लाभान्वित होंगे. भेड़-बकरी पालकों की संख्या 10,000 होगी, जबकि कुक्कुट के लिए 800 और मछलीपालन के लिए 500 से अधिक पालक इस योजना से लाभ उठाएंगे.


सालाना ₹200 करोड़ का व्यापार
इस योजना के तहत सहकारी समितियों के माध्यम से सालाना 200 करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान है. इसका उद्देश्य प्रदेश के दूरस्थ और सीमांत क्षेत्रों में भेड़, बकरी, कुक्कुट और मछली पालकों को एक स्थिर बाजार उपलब्ध कराना है. जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके.


सरकार की ओर से 5 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड भी प्रदान किया जा रहा है, ताकि पशुपालकों को दो दिनों के भीतर भुगतान किया जा सके.


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