Dehradun News/राम अनुज: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में ईडी द्वारा कार्रवाई करने का मामला सामने आया है. ED की छापेमारी की खबर जैसे ही इलाके में फैली तो चारों तरफ हड़कंप मच गया है. ईडी ने यह छापेमारी अधिवक्ता कमल विरमानी के आवास पर की है. कमल विरमानी का नाम 400 करोड रुपए के रजिस्ट्री घोटाले के मामले से जुड़ा हुआ है. ऐसे में देखना होगा कि ED की कार्रवाई में क्या-क्या दस्तावेज बरामद होते हैं. वहीं ईडी की छापेमारी से घोटाले से जुड़े दूसरे आरोपियों में हड़कंप मचा हुआ है.


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कई राज्यों से जुड़े जांच के तार
उत्तराखंड में ईडी की ये रेड करोड़ों रुपये की फर्जी रजिस्ट्री केस में की गई. इस घोटाले के तार यूपी उत्तराखंड, पंजाब, असम से भी जुड़े पाए गए हैं. देहरादून के अलावा ऋषिकेश में भी ईडी ने कई लोकेशन में छापेमारी की थी. इस महाघोटाले में रजिस्ट्री ऑफिस के कई कर्मचारी अधिकारी, भूमाफिया, सरकारी वकील और बिल्डर शामिल थे. घोटाले की भनक लगने के बाद जुलाई 2022 में फर्जी रजिस्ट्री घोटाले में पहला केस दर्ज हुआ था. तब से अब तक18 केस दर्ज हुए हैं. ईडी इसमें पैसे के खेल की जांच कर रही है. अब तक 20 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. 


ईडी की जांच
देहरादून में शुक्रवार को 25 गाड़ियों में ईडी की टीम आई थी और कई संदिग्ध आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी.कमल विरमानी उत्तराखंड के जाने माने वकील हैं और हाईकोर्ट में कई बड़े मुकदमों में पैरवी भी कर चुके हैं.उन्हें अगस्त 2023 में गिरफ्तार भी किया गया था. एक और अधिवक्ता इमरान के घर भी ईडी रेड हुई. ऋषिकेश में भी कई संदिग्धों के घर ईडी ने छापेमारी की.  देहरादून में राजपुर रोड, आकाशदीप कॉलोनी, डालनवाला में आरोपियों के घर और कार्यालयों में दस्तावेज खंगाले गए. सूत्रों का कहना है कि ईडी रेड में अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं. 


फर्जी रजिस्ट्री घोटाले का खुलासा (Fake Registry Scam)
उत्तराखंड में जुलाई 2023 को देहरादून के सहायक महानिरीक्षक निबंधन संदीप श्रीवास्तव ने गड़बड़ी की भनक लगने के बाद एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें सब रजिस्ट्री कार्यालय प्रथम और द्वितीय में भूमि बेचने के दस्तावेजों में छेड़छाड़ का खुलासा हुआ था.इसमें देहरादून में केस दर्ज कर एसआईटी जांच शुरू की गई. SIT टीम ने रजिस्ट्रार ऑफिस के दस्तावेज खंगाले तो होश उड़ गए. सिर्फ रिंग रोड की बेशकीमती जमीनों की 30 से ज्यादा रजिस्ट्री में हेरफेर की गई थी. जांच में प्रॉपर्टी डीलरों के नाम सामने आए. फिर घोटाले में शामिल वकीलों, रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मचारियों और अन्य आरोपियों तक पहुंची.


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