Rudraprayag news: दो बेटों के सिर से उठा पिता का साया, शहीद आनंद के लौटने की राह ताक रही पत्‍नी
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Rudraprayag news: दो बेटों के सिर से उठा पिता का साया, शहीद आनंद के लौटने की राह ताक रही पत्‍नी

Rudraprayag news: आंतकी हमले में शहीद हुए आनंद सिंह रावत का आज सूर्यप्रयाग घाट में अंतिम संस्कार होगा. जानिए परिवार में कितने लोग है.... 

kathua terrorist attack

हरेंद्र नेगी /रुद्रप्रयाग: ना तन से प्यार, ना धन से प्यार, हमें तो बस अपने वतन से है प्यार, कुछ ऐसा ही हमारे देश के जवानों का नारा है. बीते दिन हुए आतंकी हमले में उत्तराखंड के पांच जवान शहीद हो गए. जिसमें से एक शहीद रुद्रप्रयाग जनपद के कांडा भरदार के आनंद सिंह रावत थे. जब से उनके परिजनों और ग्रामीणों को उनके शहीद होने की सूचना मिली है तब से घर और गांव का माहौल गमगीन हो गया है. शहीद के घर के आसपास लोगों की भीड़ जुट रही है कि मानों वह शहीद आनंद का छुट्टी पर घर आने का  इंतजार कर रही हो. शहीद के परिजनों ने बताया की दो साल पहले ही उनका प्रमोशन हुआ था. 

देश की सेवा
देश की सेवा करते हुए उन्हें लगभग 24 साल हो गए थे. आनंद की प्राथमिक से लेकर 12 तक की पढ़ाई गांव में ही हुई थी. अभी 6 महीने पहले ही यह गांव आए थे लेकिन किसको पता था की अब कंधे में झोला नहीं उन्हें लाना होगा. घर में इनकी बुजुर्ग माता और बड़ा भाई रहता है, जबकि पत्नी और दोनों बच्चे पिछले कई सालों से देहरादून में रह रहे थे. आज सूर्यप्रयाग घाट में शहीद का अंतिम संस्कार होगा. जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी. 

जम्मू कश्मीर में तैनात थे
शहीद आनंद सिंह 6 महीने पहले ही छुट्टी पर अपने परिवार के पास देहरादून आए थे. इसी बीच वे गांव भी गए, जबकि वर्तमान में वे जम्मू कश्मीर में तैनात थे. आनंद सिंह रावत 22 गढ़वाल राइफल में तैनात थे. वे 2001 में सेना में भर्ती हुए थे. उनकी पत्नी 38 वर्षीय विजया रावत और दो बेटे 15 वर्षीय मनीष व 11 वर्षीय अंशुल वर्तमान में देहरादून के केशव विहार शिवगली गुजरो वाला के पास रह रहे हैं, जबकि शहीद की मां मोली देवी और बड़ा भाई कुंदन सिंह रावत गांव कांडा में रह रहे थे.

आंखें गमगीन
मंगलवार को कांडा भरदार गांव में एक शादी समारोह भी था, लेकिन जैसे ही आनंद सिंह के शहीद होने की खबर मिली, उत्साह का माहौल मातम में बदल गया. गांव में बारात आनी थी, जो शांति के साथ आई और शांति के साथ चली गई. इस दौरान ढोल नगाडे नहीं बजाए गए, जबकि हर किसी की आंखों में आंसू देखने को मिले. आखिर किसी को उम्मीद नहीं थी कि इतना हसता-खेलता आनंद एक दिन सभी की आंखों में आसू दे जाएगा. 
 

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