Kedarkantha Trek News: केदारकांठा में ट्रेकिंग के लिए हजारों की संख्या में टूरिस्ट पहुंच चुके हैं. देर से बर्फबारी के बावजूद यहां सैलानियों का उत्साह देखने को मिलता है.
Trending Photos
Kedarkantha Trek News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का केदारकांठा ट्रेक पर हजारों पर्यटकों का हुजूम इन दिनों उमड़ रहा है. देर से बर्फबारी के बावजूद यहां ट्रेकिंग के लिए सैलानी लगातार आ रहे हैं. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में केदारकांठा ट्रेक मोरी ब्लॉक के सांकरी सौड गांव में पड़ता है. यह प्रसिद्ध स्थल गोविन्द वन्य जीव बिहार राष्टीय पार्क के क्षेत्र में मौजूद है.
भारी बर्फबारी के बाद केदारकांठा में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है.
केदारकांठा 12500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसकी चोटी पर अपना हिमालय हॉकर्स ग्रुप ने सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराया. यहां 5-6 फीट बर्फ में रास्ता खोलना किसी चुनौती से कम नहीं है. ग्रुप में 25 टूरिस्ट 7 गाइड शामिल रहते हैं. पर्यटकों ने बताया कि उन्होंने इस ट्रेकिंग का लुफ्त उठाया और जीवन में सबसे ज्यादा आनंद इसी ट्रेक पर किया है.
केदारकांठा ट्रेक पर मिलने वाले सुन्दर बर्फ से ढके पेड़ और पहाड़ का मनोरम दृश्य दिखाई देता है. सबसे सुंदर यादगार लम्हा सूर्योदय के दर्शन और पहाड़ी गीतों पर पर्यटक और ट्रैकर खूब झूमते नजर आते हैं. स्थानीय लोगों ने विभिन्न राज्यों से आए ट्रेकरों का पहाड़ी पहनावे और फूल मालाओं के साथ स्वागत किया.
इस वजह से केदारकांठा का नाम पड़ा
इस ट्रेक का साहसिक पर्यटन के साथ साथ आध्यात्मिक महत्व भी है. बताया जाता है कि केदारनाथ जाने से पहले भगवान शिव शंकर यहां तप के लिए आए थे. केदारकांठा चोटी के आसपास कई गांव थे. इस कारण उनकी तपस्या में बाधा आ रही थी. ऐसा माना जाता है कि तब शिव शंकर यहां से सीधे केदारनाथ धाम चले गए. इसी कारण से केदारकांठा का नाम पड़ा है.
केदारकांठा कैसे पहुंचें
केदारकांठा ट्रेकिंग में पहले दिन सांकरी से शुरू होकर जुड़ा का तालाब तक पहुंचते हैं. दूसरे दिन तालखेत्रा बेस कैंप और तीसरे दिन केदारकांठा टॉप करके अर गांव कैंप पहुंचा जाता है. अगले दिन वापस सांकरी पहुंचते हैं. इस साल बर्फबारी फरवरी माह में काफी अच्छी मात्रा में हुई है. पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों और होटल कारोबारियों के लिए वरदान साबित हुई है.
यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में चुनाव लड़ने से भाग रहे कांग्रेसी दिग्गज, राम लहर-मोदी लहर में करारी हार का सता रह डर