Makar shankranti 2024: उत्तराखंड में धूम धाम से मनाया जाता है घुघुतिया पर्व, गंगा स्नान का विशेष महत्त्व
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Makar shankranti 2024: उत्तराखंड में धूम धाम से मनाया जाता है घुघुतिया पर्व, गंगा स्नान का विशेष महत्त्व

Makar shankranti 2024: उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मकर संक्रांति के पर्व को घुघुतिया त्यौहार कहते हैं. घुघुतिया त्यौहार यहाँ धूमधाम से मनाया है. इस दिन कुछ विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं..

 

Makar shankranti 2024

Makar shankranti 2024: उत्तराखंड में घुघुतिया त्यार का बहुत अधिक महत्त्व है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है. साथ ही दान पुण्य का भी विशेष महत्व है. इस दिन कुमाऊं में मीठे पानी से गूंथे आटे से विशेष पकवान बनाने का भी चलन है.मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करता है.  गांवों से निकलकर अन्य शहरों में रह रहे लोग भले ही अपनी माटी से भले दूर हो गए हों, लेकिन घुघुतिया त्यार मनाने की परंपरा आज भी वही है. इस दिन घुघुति जो कि उत्तराखंड का विशेष पक्षी है उसी के आकार में  आटे और गुड़ का पकवान बनाया जाता है जिसे घुघुता कहते हैं.  घुघुतिया या मकर संक्रांति के अगले दिन बच्चे काले कौआ घुघुती माला खाले की आवाज लगाकर कौए को बुलाते हैं और उसे यह पकवान खिलाते हैं. 

नई पीढ़ी के युवा भी रूचि लेते हैं घुघुतिया में 
उत्तराखंड के बाहर रह रहे युवाओं में भी घुघुतिया त्यौहार के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अनेक समूह अलग अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिये वीडियो और लेख पोस्ट कर रहे हैं. अनेक स्कूलों कॉलेज और संस्थाओं में भी इस मौके पर अनेक कार्यक्रम किये जाते हैं. गढ़वाल में इसे उत्तरायणी और कुमाऊ में घुघुतिया कहा जाता है. इस दिन घी खाने का भी विशेष रिवाज है. कहा जाता है घी ना खाने पर अगले जनम में घोंघा कीड़ा बन जाते हैं . इसी मान्यता को देखते हुए इस दिन हर पकवान में घी डाला जाता है.

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दान का विशेष महत्त्व 
इस त्यौहार में सूर्योदय से पहले ही तीर्थ स्थल में स्नान करने का विशेष महत्त्व है. गंगा में स्नान ना भी कर सकें तो गाँव  के आस पास की छोटी नदी में स्नान किया जाता है. क्योंकि लोगों का मानना है मकर संक्रांति के दिन स्नान करने से पुण्य मिलता है एक कहावत भी है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने पर 100 गायों को दान किए बराबर पुण्य मिलता है.इस त्यौहार में बच्चों द्वारा गाया जाने वाला एक गीत बहुत प्रसिद्ध है.

काले कौवा काले घुघूती बड़ा खा ले काले कौवा काले
ले कौवा बड़ा मेरे को दे सोने का घड़ा.

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