Uttarkashi Silkyara Tunnel Rescue: सिलक्यारा सुरंग से सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है. पर इसका पूरा श्रेय उन रैट मारनर्स को जाता है जिनको 2014 में पूरी तरह से भारत में बैन कर दिया गया था. रैट माइनर्स में से एक झांसी के रहने वाले परसादी लोधी ने कहा था कि अंदर फंसे मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल कर लाएगें.
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Uttarkashi Silkyara Tunnel Rescue: सिलक्यारा सुरंग हादसे से अच्छी खबर सामने आ रही है. आपको बता दे कि सिलक्यारा सुरंग हादसे में बचाव दल को बड़ी सफलता मिली है. अभी तक इस रेस्कयू ऑपरेशन से कई मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है, और इस पूरी सफलता का श्रेय उन रैट मारनर्स को जाता है जिनको 2014 में पूरी तरह से भारत में बैन कर दिया गया था.
सिल्क्यारा पहुंचे रैट माइनर्स में से एक झांसी के रहने वाले परसादी लोधी ने कहा था कि वह पाइपों के जरिए भीतर जाएंगे और मलबे को साफ करके अंदर फंसे मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल कर लाएगें और उन्होंने ये कर दिखाया है. अब इस रेस्कयू ऑपरेशन को सफलता से परा कर लिया गया है. खुशी की बात तो यह है कि सुरंग से निकलने वाले सभी मजदूर स्वस्थ और सुरक्षित है. रैट माइनर्स ने मजदूरों को बचाने के लिए कहा ये विश्वास दिलाया था कि वो सुरंग के अंदर जाएगें और मजदूरों को सुरक्षित वापस लेकर आएगें.
क्या होता है रैट-होल माइनिंग
रैट-होल माइनिंग एक ऐसी पद्धति है, जिसके जरिए खनिक कोयला निकालने का काम करते हैं, वे मैनुअल ड्रिलिंग के जरिए संकरे बिलों में उतरते हैं और खोदाई करते जाते हैं. इस पद्धति में एक मजदूर मैनुअल ड्रिलिंग करता है, दूसरा मलबा इकट्ठा करता है. और तीसरा मलबे को बाहर निकालने का काम करता है.
NGT ने इस बजह से कर दिया था बैन
2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूलन (NGT) ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. दरअसल, मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपाय के गड्ढे में उतर आते थे और कई बार ऊपर से धंसाव होने के कारण वे उसी में फंस जाते और हादसे का शिकार हो जाते थे. कई ऐसे भी मामले दर्ज किए गए, जिसमें रैट होल माइनिंग के कारण खनन क्षेत्रों में पानी भर गया, जिससे मजदूरों की जाम जली गई.
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