Uttarakhand News: `गैर-हिंदुओं व रोहिंग्या मुस्लिमों का आना बैन`, उत्तराखंड में चस्पा ऐसे साइन बोर्ड पर बवाल!
Uttarakhand: उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार का कहना है कि स्थानीय पुलिस को ऐसे बोर्ड लगाए जाने की रिपोर्ट का पता लगाने को कहा है. ऐसे कई बोर्ड हटा दिए हैं और उन्हें लगाने वालों की पहचान की जा रही है.
Uttarakhand Latest News: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हैरान कर देने वाले बोर्ड देखे गए जिसमें कुछ विशेष वर्ग के लोगों की एंट्री को बैन किए जाने के बारे में लिखा गया है. दरअसल, जिले के कई गांवों के बाहर कथित रूप से “गैर-हिंदुओं” के लिए कुछ चस्पा किया गया. जिसके मुताबिक “गैर-हिंदुओं” और फेरीवालों के प्रवेश पर बैन लगाया गया है. प्रतिबंध लगाने वाले साइनबोर्ड के सामने आने के बाद राज्य पुलिस ने जांच शुरू की है तो वहीं मुस्लिम संगठनों ने भी समुदाय को निशाना बनाने वाले मामलों को लेकर चिंता जाहिर की है.
वहीं, उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अभिनव कुमार ने इस संबंध में जानकारी दी है कि स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयों को उन्होंने कई गांवों में ऐसे बोर्ड लगाए जाने को लेकर रिपोर्ट का पता लगाने के आदेश दिए हैं. रुद्रप्रयाग के सर्कल अधिकारी है प्रबोध कुमार घिल्डियाल जिन्होंने पुष्टि की कि कई साइनबोर्ड उन्होंने हटाएं हैं और ऐसे बोर्ड लगाने वालों की वो पहचान करने के प्रयास में हैं.
पुलिस हटा रही ऐसे साइन बोर्ड
घिल्डियाल के मुताबिक “यह जानकारी मिली है कि कुछ गांवों में इस तरह के बोर्ड लगे हैं. हम उन्हें हटा रहे हैं. इन्हें कुछ गांवों से हटा दिया गया है.” भविष्य में ऐसी घटनाएं न सामने आए यह भी तय करने के लिए अलग अलग ग्राम प्रधानों (ग्राम प्रधानों) के साथ बैठक की गई है. न्यालसू गांव के बाहर लगे इस साइनबोर्ड पर हिंदी में लिखा गया है कि गांव में गैर-हिंदुओं/रोहिंग्या मुसलमानों व फेरीवालों का व्यापार करना/घूमना प्रतिबंधित है. गांव में कहीं भी पाए जाने पर उनके साथ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. दावा है कि ऐसा निर्देश ग्राम सभा की ओर से आया है. रिपोर्ट के मुताबिक, सोनप्रयाग, बारासु, जामू, अरिया, शेरसी, गौरीकुंड, त्रियुगीनारायण, रविग्राम व मैखंडा सहित क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में ऐसे बोर्ड लगे हैं.
महिलाओं ने बताई ये वजह
कुछ महिलाओं ने कहा है कि उनके घर के ज्यादातर पुरुष कमाने गौरीकुंड और सोनप्रयाग में जाते हैं. ऐसे में घर पर वे और उनके बच्चे होते हैं. कई मामलों में ऐसा देखा जा चुका है कि फेरीवाले बिना वैध पहचान पत्र व पुलिस सत्यापन के गांव में चले आते हैं फिर रुककर अपराध करते है और फरार हो जाते हैं. बाद के समय में उनके बारे में कहीं कुछ पता नहीं चल पाता. इस खतरे को देखते हुए ही ऐसे पोस्टर लगाए गए.
मुस्लिम संगठन ने DGP से की शिकायत
दरअसल, मुस्लिम सेवा संगठन के साथ ही एआईएमआईएम के दो मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल जब पांच सितंबर को डीजीपी कुमार से मिले व उत्तराखंड में बढ़ती अल्पसंख्यक विरोधी घटनाओं पर चिंता जाहिर की तब यह मुद्दा सामने आया. मुस्लिम सेवा संगठन के नईम कुरैशी द्वारा इस बारे में शीर्ष पुलिस अधिकारी को एक ज्ञापन लिखा गया- "यह पाया गया है कि छोटे-मोटे मुद्दों या फिर किसी मुस्लिम के तरफ सेकथित आपराधिक या असामाजिक गतिविधि में शामिल होने के बाद पूरे मुस्लिम समुदाय को पहाड़ी इलाकों के कस्बों और शहरों में निशाना बनाया जाता है और फिर जुलूस निकाले जाते हैं. अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की दुकानों में तोड़फोड़ लूटपाट होती है, मुसलमानों को प्रदेश छोड़ने की धमकी मिलती है." इसके बाद मुसलमानों की एंट्री पर रोक लगाने संबंधित साइन बोर्ड के बारे में जानकारी दी गई.