Uttarakhand Bhu Kanoon: उत्तराखंड में हिमाचल जैसा कड़ा भू कानून लाने की तैयारी, क्या 7 साल पुरानी 'भूल' सुधारेगी सरकार
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Uttarakhand Bhu Kanoon: उत्तराखंड में हिमाचल जैसा कड़ा भू कानून लाने की तैयारी, क्या 7 साल पुरानी 'भूल' सुधारेगी सरकार

Uttarakhand land law Demand:  उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की मांग तेज हो गई है. लोगों क कहना है कि देवभूमि में हिमाचल की तरह ही भूमि कानूनों को सख्त किया जाए. प्रदेश की धामी सरकार ने इसको लेकर कुछ कड़े कदम उठाए हैं. 

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Uttarakhand land law Demand: उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की मांग तेज हो गई है. लोगों क कहना है कि देवभूमि में हिमाचल की तरह ही भूमि कानूनों को सख्त किया जाए. प्रदेश की धामी सरकार ने इसको लेकर कुछ कड़े कदम उठाए हैं. सीएम पुष्कर धामी ने भू कानून में सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया. जिसकी कमान मुख्य सचिव को दी गई है. कहा है कि सुभाष कुमार समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों को कानूनी रूप देकर सख्त व्यवस्था की जाए.

भू-कानून संशोधन के लिए बनी कमेटी
सीएम धामी ने प्रदेश में भू कानून में संशोधन के लिए पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया था. कमेटी दो साल पहले  अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है. कमेटी ने कुल 23 संस्तुतियां रिपोर्ट में सौंपी. रिपोर्ट में साफ है कि खेती और इंडस्ट्री दोनों के लिए दी गई जमीन खरीदने की परिमिशन का दुरुपयोग किया गया. इस पर काम करने के लिए सरकार ने एक प्रारूप समिति भी गठित की. इसकी रिपोर्ट आने की सिफारिशों को लागू किया जाएगा. 

भू-कानून को लेकर आंदोलन
9 नवम्बर सन 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था. पहले यूपी का भू कानून ही राज्य में लागू रहा. जिससे दूसरे राज्यों के लोगों का यहां जमीन खरीदने पर पाबंदी नहीं थी, जब ये धंधा तेजी पकड़ने लगा तो इसका विरोध शुरू हुआ. बाहरी राज्यों से आकर भू माफियाओं के कब्जे के मामले के बाद अब धीरे धीरे राज्य में भू कानून की मांग तेज होने लग गयी है. आंदोलनकारियों का कहना है कि पहाड़ की जमीनों पर भू माफियाओं के कब्जा हो रहा है. जो आगे के लिये खतरा साबित हो रहा है. भू कानून बन जायेगा तो यहां की जमीनों पर कोई नजर उठा के नही देख सकता है. 

सरकार ने बनाए नियम
राज्य सरकार ने सख्त भू कानून नहीं आने तक बाहरी लोगों के यहां जमीन खरीदने के लिए नियम तय किए हैं. जिसके मुताबिक यहां जमीन खरीदने के लिए वजह बतानी होगी, साथ ही बाहरी व्यक्ति का वेरिफिकेशन भी किया जाएगा. देहरादून से लेकर टिहरी, कौसानी, भीमताल, कोटद्वार जैसी जगहों पर जमीनों को ज्यादा बेंचा जा रहा है. 

हिमाचल में क्या प्रावधान
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में सख्त भू कानून लागू हैं. यहां केवल किसान ही खेती की जमीन को खरीद सकते हैं. किसानी नहीं करने वाला शख्स खेती की जमीन नहीं खरीद सकता है, जहां वह हिमाचल का ही रहने वाला हो. इसी को उत्तराखंड में भी लागू करने की मांग की जा रही है. 

एनडी तिवारी सरकार ने तय की सीमा
साल 2002 में एनडी तिवारी सरकार ने राज्य में भू कानून कड़े करने के लिए कदम उठाया. बाहरियों के लिए घर बनाने के लिए 500 वर्गमीटर भूमि खरीदने को ही अनुमति देने की सीमा तय की. जबकि खेती वाली जमीन खरीदने की सीमा 12.5 एकड़ किया. जिसके लिए जिलाधिकारी को परमिशन दी गई. हेल्थ, इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए जमीन खरीदने के लिए सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य किया गया. जिस परियोजना के लिए जमीन ली गई हो, उसे दो साल में पूरा करने का भी प्रतिबंध लगाया. 

खंडूरी सरकार ने साल 2007 में भूमि कानून में संशोधन कर सख्त किया. नए कानून के तहत 500 की जगह जमीन खरीदने की सीमा आधी कर 250 वर्गमीट कर दिया गया. इसके बाद त्रिवेंद्र सरकार ने भू कानून में फिर संशोधन किया. प्रदेश में निवेश, कृषि, बागवानी, इंडस्ट्री आदि के लिए जमीन खरीदने का दायरा 12.5 एकड़ से बढ़ाकर 30 एकड़ कर दिया. त्रिवेंद्र रावत सरकार के इस लचीले रुख का विरोध हुआ था. 

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