Uttarkashi Tunnel Collapse: टनल में फंसे मजदूरों को 106 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है. मजदूरों को बाहर निकालने के लिए नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों की मदद ली जा रही है. साथ ही अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए मलबे को भेदकर स्टील की पाइप बिछाई जा रही है.
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Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तरकाशी के सिलक्यारा में टनल में फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने की कोशिश पांचवें दिन गुरुवार को भी जारी है. सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए ड्रिल के जरिए मलबे में पाइप बिछाई जा रही है. उधर, धीरे-धीरे मजदूरों की तबीयत खराब हो रही है. उन्हें कंप्रेसर के जरिए हवा पहुंचाई जा रही है.
ऑगर की मदद से बिछाई जा रही पाइप
टनल में फंसे मजदूरों को 106 घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका है. मजदूरों को बाहर निकालने के लिए नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों की मदद ली जा रही है. साथ ही अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए मलबे को भेदकर स्टील की पाइप बिछाई जा रही है. इस मशीन के जरिए प्रति घंटे 5 मीटर मलबा निकला जा रहा है.
इतना लग रहा समय
एक पाइप को दूसरी पाइप से जोड़ने में तकरीबन डेढ़ से 2 घंटे का समय लग रहा है. 60 मीटर तक पाइप बिछाने का काम किया जाना है. इसके लिए 98 कर्मचारियों की टीम बनाई गई है.
तीन शिफ्ट में ये कर्मचारी काम कर रहे हैं. माना जा रहा है कि गुरुवार रात तक सभी मजदूरों को बाहर निकाला जा सकेगा.
वीके सिंह ने लिया जायता
इस बीच केंद्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग परिवहन राज्य मंत्री वीके सिंह ने भी रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया. वीके सिंह ने कहा कि ऑपरेशन में दो से तीन दिन का वक्त लग सकता है, मगर ऑपरेशन पूरा किया जाएगा. उससे कम समय में भी ऑपरेशन को पूरा किया जा सकता है.
आने वाले 20 से 22 घंटे अहम
बता दें कि एक घंटे में 6 मीटर की पाइप को मलबे में डाला जा रहा है, लेकिन एक पाइप को दूसरे पाइप से जोड़ने में डेढ़ से 2 घंटे का समय लग रहा है. इस लिहाज से 10 पाइप को डालने में करीब 20 से 22 घंटे का समय लग सकता है.
यह है प्लान
मजदूरों तक एनडीआरएफ या फिर एसडीआरएफ के जवान पाइप के जरिए जाएंगे और मजदूरों के पास पहुंचकर उनको पाइप में ट्रॉली के जरिए मजदूरों को निकालने की योजना है. एक ट्राली पर एक मजदूर को बाकायदा सेट किया जाएगा.
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