Tungnath Temple: दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर 'तुंगनाथ' पर खतरा मंडरा रहा है. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में मौजूद तुंगनाथ मंदिर देखरेख न होने के चलते एक ओर झुक रहा है. इस घटना ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग की चिंता बढ़ा दी है. मंदिर को लेकर भारतीय सर्वेक्षण विभाग को सूचना दे दी गई है. फ‍िलहाल, संरक्षित होने के चलते मंदिर के निर्माण कार्य ASI के जरिए ही हो सकते हैं. 


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उत्‍तराखंड के पर्यटन मंत्री ने दिया आश्‍वासन 
प्रदेश के पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि इस मामले को एएसआई को बताया गया है. मामले में जल्द ही कार्य शुरू किए जाएंगे. वहीं, बद्री केदार मंदिर समिति के अध्‍यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि इस घटना को लेकर विशेषज्ञों ने निरीक्षण किया है. इसके मुताबिक, कुछ जरूरी कार्य करने के लिए कहा गया है. CBRI रुड़की की टीम भी वहां निरीक्षण कर रही है. मंदिर समिति के द्वारा कुछ कार्य किए गए हैं और शासन से भी कुछ कार्य करने के लिए अनुमति मांगी गई है. 


जीर्णोद्धार में अड़चन 
मंदिर के पुजारी ने बताया कि तुंगनाथ मंदिर एक तरफ झुक रहा है. फॉरेस्ट एक्ट के आड़े आने की वजह से इसका जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा है. तुंगनाथ की दीवारों पर मोटी दरारें आ गई हैं. बताया जा रहा है कि स्थानीय तीर्थ पुरोहित लंबे समय से मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि वन अधिनियम के कारण निर्माण कार्य में अड़चन आ रही है, जिससे जीर्णोद्धार की प्रक्रिया पर असर पड़ा है. 


देश-विदेश से आते हैं भक्‍त 
बता दें कि रुद्रप्रयाग स्थित तुंगनाथ मंदिर में हर साल देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. सावन में यहां श्रद्धालुओं की संख्या में काफी बढ़ जाती है. हर साल वैशाखी पर्व पर मंदिर के कपाट खुलने की तिथि घोषित होती है. दीपावली के बाद 6 महीने के लिए कपाट बंद कर दिए जाते हैं. अगले 6 महीने तक पूजा मक्कू मठ में होती है.



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