झांसी: उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के किसान भले ही कर्ज और मर्ज का दंश झेल रहे हों, मगर बेटियों के लिए सब कुछ न्यौछावर करने का जज्बा उनमें अब भी कायम है. झांसी जिले के मैरी गांव के एक किसान दंपति ने रविवार को अपनी बेटी की विदाई हेलीकॉप्टर से कर यह साबित भी कर दिया. झांसी जिले के मैरी गांव के किसान राकेश यादव के तीन बेटियां और एक बेटा है, दो बेटियों की शादी उसने पहले ही कर दी थी. सबसे छोटी बेटी सुधा का विवाह पालर गांव के अजय के साथ की और बेटी की इच्छानुसार रविवार को उसकी विदाई हेलीकॉप्टर से की है.


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राकेश सिंह यादव ने बताया कि उसकी लाड़ली बेटी ने हेलीकॉप्टर से अपनी विदाई की इच्छा जाहिर की थी, जिसे पूरा कर दिया गया है. दूल्हन बनी बुंदेली बेटी से जब इस बारे में पूछा गया तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा. उसने कहा, "हेलीकॉप्टर से विदाई मेरा एक सपना था, जिसे मम्मी-पापा और भाई ने पूरा कर दिया. अब मैं जिंदगी भर मम्मी-पाप से कुछ नहीं मांगूंगी. "


नोटों की माला पहन हेलीकॉप्टर में दुल्हन लेने आया दूल्हा, देखने वालों की लगी भीड़
इससे पहले भी यूपी में हेलीकॉप्टर से विदाई की खबरें आती रही हैं. इसी साल आगरा में एक दूल्हा अपनी दुल्हन लेने हेलीकॉप्टर से आया था. जानकारी के मुताबिक दूल्हा अबरार आगरा के किरावली इलाके से अपनी मोह्ब्बत सुलताना को लेने खंदौली आया था. गांव में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी दुल्हन की ऐसी शाही विदाई हुई हो. दुल्हन की ऐसी अनोखी विदाई को देखने सैकड़ों की संख्या गांव वालों की भीड़ पहुंची. हेलीकॉप्टर की सुरक्षा और किसी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए पुलिस और फायर ब्रिगेड की एक दमकल भी मौके पर ही मौजूद थी.


दूल्हे ने पहन रखी थी दो हजार के नोटों की माला
इस दौरान एक और खास बात थी जिसे सबने गौर किया कि दूल्हे ने नोटबंदी के बाद जारी हुए दो-दो हजार के नोटों की माला पहन रखी थी. दूल्हे की उस नोटों की माला में करीब 6 लाख रुपये जुड़े होने की चर्चा थी. बाद में अबरार और सुल्ताना ने साथ जीने-मरने की कसम खाई और अपने निकाहनामे को मंजूरी दी.


गांव वालों और परिजनों में दिखा उड़नखटोले का क्रेज
शादी की रस्मों के बाद जब विदाई की बारी आई तो लोगों में इस अनोखी विदाई देखने की चाह उमड़ पड़ी. इस विदाई को देखने के लिए मैदान में हेलीकॉप्टर के चारों तरफ भारी भीड़ जमा हो गई. भीड़ में बच्चे और महिलाओं के अलावा तमाम बुजर्ग भी नजर आ रहे थे. भीड़ तब तक टकटकी लगाए उड़नखटोले को देखता रही जब तक की वह उड़ कर आंखों से ओझल नहीं हो गया. परिजनों में भी विदाई के गम से ज्यादा उड़नखटोले का क्रेज दिखा. गांव वालों के लिए ये किसी अजूबे से कम नहीं था.


इनपुट भाषा से भी