गोरखपुर यूनिवर्सिटी में फिर बवाल, हंगामा काटने वाले प्रोफेसर हो गए सस्पेंड
Gorakhpur News: एक वीडियो सोशल मीडिया में आग की तरह फैल रही है जहां सोमवार की सुबह दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर जोन्नाडा एवी प्रसाद राव ने सैलरी कटौती का विरोध किया.
गोरखपुर: एक वीडियो सोशल मीडिया में आग की तरह फैल रही है जहां सोमवार की सुबह दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर जोन्नाडा एवी प्रसाद राव ने सैलरी कटौती का विरोध किया. सुबह 9 बजे के आसपास उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाया और बायोटेक्नोलॉजी विभाग का गेट बंद कर हंगामा शुरू कर दिया.
धक्का-मुक्की का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
स्थिति इतनी खराब हो गई कि चीफ प्रॉक्टर प्रो. सतीश चंद्र पांडेय से भी भिड़ गए. धक्का-मुक्की की फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई है. स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए, डीडीयू प्रशासन ने प्रो. राव को तुरंत निलंबित कर दिया.
दो साल से ऑनलाइन आईडी और पासवर्ड ब्लॉक
प्रो. राव का दावा है कि पिछले दो सालों से उनका समर्थ पोर्टल पर छुट्टी के लिए आवेदन करने में असमर्थ रहे हैं क्योंकि उनका ऑनलाइन आईडी और पासवर्ड ब्लॉक हैं. उन्होंने 20 अगस्त से 23 अगस्त तक छुट्टी ली, लेकिन उनके आवेदन को मंजूरी नहीं मिली, इसलिए उनका चार दिन का वेतन काट लिया गया. उन्होंने इस अन्याय के खिलाफ बायोटेक्नोलॉजी विभाग के गेट पर धरना दिया. जिससे शिक्षकों और विद्यार्थियों का विभाग में प्रवेश बंध हो गया.
प्रोफेसर को किया निलंबित
प्रो. राव ने अपनी समस्याओं को लेकर 69 बार कुलपति को रिमांइडर भेजने का दावा किया है. जिससे हालात और भी गंभीर हो गए। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे पीछे नहीं हटेंगे जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कैंट थाने की पुलिस और एलआईयू की टीम को बुलाया गया. जिन्होंने शाम तक गेट खुलवाने की कोशिश की, लेकिन प्रो. राव ने अपनी मांगों पर अड़े रहते हुए दरवाजा नहीं खोला. जिससे विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया.
प्रोफेसर पर लगे कई आरोप
प्रो. राव पर आरोप है कि उन्होंने शिक्षण प्रक्रिया को बाधित किया. एक प्रोफेसर के साथ दुर्व्यवहार किया और लैब के दरवाजे को क्षतिग्रस्त किया, जिससे विद्यार्थियों और शिक्षकों को विभाग में जाने में परेशामियो का सामना करना पड़ा. उन्हें इन गंभीर आरोपों के कारण तुरंत निलंबित कर दिया गया और उनके बायोटेक्नोलॉजी विभाग में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया.