हल्द्वानी: उत्तराखंड के जंगलों में तेजी से फैलती आग सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है. जिसके समाधान के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार अहम कदम उठा रही है. जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए फिर से वन पंचायतों का गठन किया जा रहा है, वन सम्पदा के संरक्षण के लिए वन पंचायतों की मजबूती पर जोर देने की कवायद जारी है.


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वन पंचायतों की प्रबंध समिति का गठन हो गया है जिससे वे कार्यदायी संस्था के रूप में भी काम के सकते हैं. बताया जा रहा है कि वन पंचायतों को दावानल की सूचना, रोकथाम, संसाधनों, जंगलों से आर्थिकी और रोजगार के लिहाज से मजबूत बनाया जा रहा है.


वन पंचायतों के गठन के बाद आमदनी के स्रोत भी खुलने लगे हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक जंगलों से जुड़े अभियान में ग्रामीणों की सहभागिता जरूरी है, क्योंकि ग्रामीण और जंगल एक दूसरे पर निर्भर है, दूसरी तरफ चीड़ के जंगलों से मिलने वाला उत्पाद रेजिन यानी लीसा बड़े पैमाने पर मिल रहा है जो ग्रामीणों को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाता है.


आपको बता दें कि प्रदेश भर में 12 हज़ार से ज़्यादा वन पंचायत हैं, जो अपनी कार्यशैली के जरिये वनों को सुरक्षित रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका पहले से निभाती रही हैं.