विनोद लांबा/हाथरस: 14 सितंबर को हाथरस में हुई घटना में नया मोड़ सामने आया है. हाथरस की वारदात के आरोपियों में शामिल रामू की कंपनी के मैनेजर ने दावा किया है कि घटना के दिन रामू गांव में मौजूद ही नहीं था. बर्फ कंपनी के मैनेजर ने दावा किया है कि रामू 14 सितंबर को मॉर्निंग शिफ्ट में सुबह 8 बजे से पहले फैक्ट्री में पहुंच गया था. शिफ्ट मैनेजर मधुसूदन बाकी मजदूरों के सामने रजिस्ट्रर दिखाते हुए अपनी बात‌ यानी रामू की 14 और 15 सितंबर में कंपनी में मौजूदगी के गवाह पेश करते हैं. वो फैक्ट्री के इंटरनल व्हाट्सएप ग्रुप में रामू की उस दिन की फोटो भी दिखाते हैं.


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रामकुमार उर्फ रामू मुख्य आरोपी संदीप का चाचा लगता है. रामू के पिता का दाावा है कि बेटा किसी भी रेप या गैंगरेप में की वारदात में शामिल नहीं था. एक ही परिवार के होने की वजह से उसे फंसाया जा रहा है. राकेश हाथरस गैंग पीड़िता को बेटी बताते हुए कहते हैं कि अगर उनका बेटा गैंगरेप में दोषी है, तो उस पर मुकदमा चलाने की भी जरूरत नहीं है  सीधे गोली मार दी जाए. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि और वो पिता होने के नाते अगर रामू क बचाने की कोशिश कर रहे हैं तो ऐसे में गैंगरेप जैसा मामला साबित होता है तो उन्हें भी मार दिया जाए.


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राकेश कुमार का आरोप है कि लगातार बढ़ते दबाव में पुलिस ने उनके बेटे को हिरासत में लिया था और बाद में छोड़ दिया. गैंगरेप की धारा लगने के बाद फिर दोबारा पकड़ लिया गया. रामकुमार की कंपनी और उनके पिता का दावा कितना सच्चा और कितना झूठा है यह निश्चित तौर पर एसआईटी जांच में सामने आएगा, लेकिन ज़ी उत्तर प्रदेश उत्तराखंड अपनी पड़ताल में हाथरस के गंभीर अपराध के  चार आरोपियों में से एक की 14 सितंबर की कहानी आपके सामने रखने की कोशिश कर रहा है.


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