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मथुरा: प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की टीम ने बुधवार को मथुरा में बने अस्थाई जेल में बंद चारों पीएफआई एजेंटों से करीब 5 घंटे तक पूछताछ की. ईडी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पीएफआई (Popular Front of India) एजेंटों से ''जस्टिस फॉर हाथरस'' वेबसाइट के जरिए हुई करीब 100 करोड़ रुपए की फंडिंग के मामले में अलग-अलग पूछताछ हुई. ईडी की टीम ने इसके बाद चारों एजेंटों के बयानों को क्रॉस चेक किया.
सूत्रों की मानें तो ईडी की टीम को इस पूछताछ के दौरान कई अहम जानकारी हाथ लगी है, जिससे कि जांच आगे बढ़ेगी और कई नाम उजागर हो सकते हैं. करीब 5 घंटे तक चली पूछताछ में मीडिया से ईडी अधिकारी बचते नजर आए. मीडियाकर्मियों ने जब ईडी अधिकारियों से मामले की जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने सिर्फ जांच की बात कहकर सवालों को टाल दिया. आपको बता दें कि हाथरस जाते समय मथुरा के मांट में एक्सप्रेस-वे टोल प्लाजा से पुलिस ने पीएफआई के चारों एजेंटों को गिरफ्तार किया था.
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चारों ने पुलिस की पूछताछ में पीएफआई से संबंध कबूले हैं
पुलिस की पूछताछ में इन सभी ने पीएफआई और उसके सहयोगी संगठन सीएफआई से अपने संबंध कबूले हैं. पहला आरोपी अतीकुर्रहमान, मुजफ्फरनगर का रहने वाला है, दूसरा सिद्दीकी केरल के मलप्पुरम का निवासी है. तीसरा आरोपी मसूद अहमद बहराइच का रहने वाला है. चौथा आरोपी आलम रामपुर का निवासी है. ये सभी हाथरस जा रहे थे. पुलिस को चारों के पास से ऐसी चीजें बरामद हुई हैं जो ''जस्टिस फॉर हाथरस'' वेबसाइट से इनके जुड़े होने की पुष्टि करती हैं. चारों के कब्जे से लैपटॉप, मोबाइल और भड़काऊ साहित्य भी बरामद किए गए थे.
शाहीन बाग में ठहरे थे और हाथरस में पत्रकार बनकर गए थे
इंटेलिजेंस एजेंसियों के मुताबिक चारों पीएफआई एजेंट पत्रकार बनकर हाथरस में रुके थे और यूपी में जातीय दंगों की साजिश रच रहे थे. इनमें अतीकुर्रहमान पर फंड इकट्ठा करने की जिम्मेदारी थी. यूपी के मुजफ्फरनगर का रहने वाला अतीकुर्रहमान कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया नाम की संस्था का कोषाध्यक्ष भी है. अतीकुर्रहमान के साथ बाकी तीनों का शाहीन बाग कनेक्शन भी सामने आया है. ये चारों हाथरस से लौटने के बाद शाहीन बाग में ही ठहरे हुए थे. जब इनकी मथुरा में गिरफ्तारी हुई तो ये शाहीन बाग से हाथरस दोबारा लौट रहे थे. अब ईडी इन चारों से विदेशी फंडिंग के बारे में जानकारी जुटाएगी.
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