मो.गुफरान/प्रयागराज: यूपी में लव जेहाद को रोकने के लिए योगी सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई टाल दी है. योगी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में धर्मांतरण कानून लागू होने के मामले पर याचिका दी गई है. जिसमें सभी मामलों को एक साथ सुने जाने की अपील की गई है. इसी के कारण हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई को टाल दिया. कोर्ट अब दो फरवरी को इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जानिए उस बच्चे के बारे में जिसकी वजह से शुरू हुआ वीरता पुरस्कार, जिसने बचाई थी PM की जान


सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की राज्य सरकार की याचिका
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सभी याचिकाओं को ट्रांसफर कर एक साथ सुने जाने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गयी है. जिसकी सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई होगी. इसलिए अर्जी तय होने तक सुनवाई स्थगित की जाये. इसी आधार पर हाईकोर्ट ने अगली तारीख 2 फरवरी कर दी.


SSC की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए खुशखबरी, GD Constable की होगी बंपर भर्ती!


हांलाकि, इस आदेश के बाद पता चला कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार की याचिका खारिज होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई का रास्ता अब साफ हो गया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला देर से आने की वजह से आज की सुनवाई टालनी पड़ी. गौरतलब है कि चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस एस एस शमशेरी की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही है.


रिपब्लिक डे पर लखनऊ जेल विभाग के इन 8 कर्मियों को मिलेगा विशिष्ट सेवा पदक, देखिए नामों की लिस्ट 


यूपी सरकार ने अध्यादेश को बताया था जरूरी
गौरतलब है कि यूपी सरकार इससे पहले 5 जनवरी को अपना जवाब कोर्ट में दाखिल कर चुकी है. इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं की ओर से भी जवाब दाखिल किया जा चुका है. 102 पन्नों के जवाब में यूपी सरकार की ओर से अध्यादेश को जरूरी बताया गया है. राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि कई जगहों पर धर्मान्तरण की घटनाओं को लेकर कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो गया था.  कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस तरह का अध्यादेश लाया जाना बेहद जरूरी था.  सरकार के मुताबिक धर्मांतरण अध्यादेश से महिलाओं को सबसे ज़्यादा फायदा होगा और उनका उत्पीड़न नहीं हो सकेगा.


National Voters Day 2021: मतदाता दिवस आज, जानें कब और क्यों हुई थी इसकी शुरुआत?


क्या है मामला?
योगी सरकार लव जेहाद की घटनाओं को रोकने के लिए जो अध्यादेश लाई थी, उसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में चार अलग-अलग याचिका दाखिल की गई थीं. इनमे से एक अर्जी वकील सौरभ कुमार की थी तो दूसरी बदायूं के अजीत सिंह यादव, तीसरी रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी आनंद मालवीय और चौथी कानपुर के एक पीड़ित की तरफ से दाखिल की गई थी. सभी याचिकाओं में अध्यादेश को गैर जरूरी बताया गया.


इन याचिकाओं में कहा गया कि यह सिर्फ सियासी फायदे के लिए है. इसमें एक वर्ग विशेष को निशाना बनाया जा सकता है. दलील यह भी दी गई कि अध्यादेश लोगों को संविधान से मिले मौलिक अधिकारों के खिलाफ है, इसलिए इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ताओं की तरफ से यह भी कहा गया कि अध्यादेश किसी इमरजेंसी हालत में ही लाया जा सकता है, सामान्य परिस्थितियों में नहीं.


'हाय रब्बा मैं मर जावां' नेवले की मरने की एक्टिंग देख नहीं रोक पाएंगे हंसी, देखें वायरल VIDEO


WATCH LIVE TV